उत्तराखंड में फिर से सत्तासीन होने जा रही भाजपा सरकार और पार्टी संगठन की पहली परीक्षा अगले वर्ष होने वाली है, जिसके लिए पार्टी ने रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है।
नगर निकाय चुनावों में भाजपा की पहली परीक्षा:
अगले साल राज्य में होने वाले नगर निकाय चुनावों में भाजपा की पहली परीक्षा होगी। नगर निकायों में दोबारा परचम फहराकर पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में मजबूत आधारशिला रखने का प्रयास करेगी। इसे देखते हुए भाजपा अब नगर निकाय चुनाव की रूपरेखा तैयार करने में जुट गई है। राज्य में नगर निकायों की संख्या 102 है, जिनमें से तीन में चुनाव नहीं होते।
लगभग 75 प्रतिशत निकायों में भाजपा ने हासिल की थी सफलता
राज्य में वर्ष 2018 में हुए नगर निकाय चुनावों में भाजपा ने लगभग 75 प्रतिशत निकायों में अपना बोर्ड बनाने में सफलता हासिल की थी। तब नगर निकायों की कुल संख्या 92 थी, जो पिछले पांच साल में बढ़कर सैकड़ा पार कर चुकी है। अब दो-तिहाई बहुमत हासिल कर प्रदेश में सत्तासीन होने जा रही भाजपा सरकार और संगठन की जनता के बीच पहली परीक्षा निकाय चुनावों में होनी है।
राज्य और केंद्र से मिलने वाले बजट पर ही निर्भर निकाय:
असल में नगर निकायों की माली हालत बहुत बेहतर नहीं है। कर्मचारियों के वेतन से लेकर नगरीय क्षेत्रों में होने वाले विभिन्न विकास कार्यों के लिए निकायों को राज्य और केंद्र से मिलने वाले बजट पर ही निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती नगर निकायों को अपने पैरों पर खड़ा कर उनकी आय के स्रोत बढ़ाने की होगी।
निकायों को प्रोत्साहित करना होगा:
इसके लिए सरकार को फैसिलिटेटर की भूमिका का निर्वहन करते हुए निकायों को प्रोत्साहित करना होगा। नगर निकायों में पिछले परिसीमन में लगभग 300 गांवों को नगरों का हिस्सा बनाया गया था। इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकास की चुनौती सरकार के सामने रहेगी।
जनता की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती:
इस परिदृश्य के बीच सभी की नजर निकायों को लेकर नई सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर टिक गई है। भाजपा संगठन भी पिछली सरकार द्वारा किए गए कार्यों और नई सरकार की नगर निकायों के प्रति प्रतिबद्धता व नीतियों को लेकर जनता के बीच जाएगा। साफ है कि सरकार और भाजपा संगठन दोनों को ही निकाय चुनाव में जनता की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती है।