उत्तराखंड में एक और भर्ती घोटाले का सोमवार को राजफाश हो गया। इस बार पुलिस विभाग में दारोगा भर्ती में बड़े पैमाने पर लेनदेन कर कुछ अभ्यर्थियों के दारोगा बनने की पुष्टि विजिलेंस जांच में हुई है।
वर्ष 2015-16 में कांग्रेस की तत्कालीन हरीश रावत सरकार में दारोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर ने कराई थी।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर 20 दारोगा निलंबित:
अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरुगेशन ने बताया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर 20 दारोगा को निलंबित कर दिया गया है। इस प्रकरण में सितंबर-2022 में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया था।
उसी में नकल के आरोपित दारोगा को सह-अभियुक्त बनाया जा सकता है। वर्तमान में ये सभी दारोगा प्रदेश के विभिन्न जनपदों में थाने-चौकियों पर तैनात थे। इनमें एक राज नारायण व्यास दारोगा भर्ती में शीर्ष द्वितीय स्थान पर रहा था।
आठ वर्ष पूर्व हुई दारोगा भर्ती में धांधली का मामला तब चर्चा में आया, जब पिछले वर्ष उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएसई) की ओर से कराई गई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में नकल और लेनदेन का राजफाश हुआ था।
उस समय जब पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने नकल माफिया उत्तरकाशी के जिला पंचायत सदस्य व भाजपा नेता हाकम सिंह रावत व उसके सहयोगी केंद्रपाल को गिरफ्तार किया तो उन्होंने वर्ष 2015-16 में हुई दारोगा भर्ती में भी घपले की बात कबूल की।
पुलिस विभाग की भर्ती पर सवाल उठने के बाद पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने 26 अगस्त-2022 को शासन को पत्र भेजकर दारोगा भर्ती में लगे घपलों के आरोप की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की सिफारिश की थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच विजिलेंस जांच से कराने की अनुमति दी।
विजिलेंस ने अब तक 12 को बनाया था आरोपित:
दारोगा भर्ती घपले में पंतनगर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी दिनेश चंद्र जोशी व एक अन्य अधिकारी नरेंद्र सिंह जादौन समेत नकल माफिया सिंडिकेट के सरगना हाकम सिंह रावत, चंदन मनराल, केंद्रपाल, मास्टरमाइंड सादिक मूसा, राजेश कुमार जायसवाल, संजीत कुमार चौहान, राजेश पाल, राजेश चौहान, विपिन बिहारी और नीतीश गुप्ता समेत आरोपित बनाया गया है। इन सभी को एसटीएफ पूर्व में अन्य भर्ती परीक्षाओं में नकल के आरोप में गिरफ्तार कर चुकी है। वर्तमान में यह सभी जेल में हैं।
गढ़वाल से 210, कुमाऊं से 129 बने थे दारोगा:
दारोगा भर्ती परीक्षा में 339 युवा उत्तीर्ण हुए थे। जिसमें गढ़वाल मंडल के 210, जबकि कुमाऊं मंडल के 129 अभ्यर्थी थे। इनमें से 40 से 45 दारोगा पर मोटी रकम देकर उत्तीर्ण होने का संदेह है। विजिलेंस सभी की कुंडली खंगाल रही है।
ये दारोगा हुए निलंबित:
तैनाती जिला देहरादून: ओमवीर सिंह, प्रवेश रावत, राज नारायण व्यास, जैनेंद्र राणा व निखिलेश बिष्ट।
तैनाती जिला ऊधमसिंहनगर: दीपक कौशिक, अर्जुन सिंह, बीना पपोला, जगत सिंह शाही, हरीश महर, लोकेश व संतोषी।
तैनाती जिला नैनीताल: नीरज चौहान, आरती पोखरियाल नैनीताल (अभिसूचना), प्रेमा कोरमा व भावना बिष्ट।
तैनाती जिला पौड़ी: पुष्पेंद्र
तैनाती जिला चमोली: गगन मैठाणी
तैनाती जिला चंपावत: तेज कुमार
एसडीआरएफ: मोहित सिंह रौथाण
वर्ष 2015-16 की दारोगा सीधी भर्ती में अनियमितता की शिकायत पर विजिलेंस टीम जांच कर रही है। अभी तक की गई जांच के आधार पर संदिग्ध पाए गए 20 दारोगा को निलंबित कर दिया गया है। इनकी गिरफ्तारी पर अंतिम निर्णय जांच पूरी होने के बाद ही होगा।
वी मुरुगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड:
वर्ष 2015-16 उपनिरीक्षक सीधी भर्ती में अनियमितता की शिकायत मिलने पर विजिलेंस को इसकी जांच सौंपी गई थी। अभी तक की जांच के आधार पर संदिग्ध पाए गए 20 उपनिरीक्षकों को जांच पूरी होने तक निलंबित किया गया है। हमारी सरकार सुशासन के लिए संकल्पबद्ध है। गड़बड़ी करने वालों को किसी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा। भर्तियों में अनियमितता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जल्द ही देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून बनाया जाएगा। भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

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