एक्जिट पोल में उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस को सत्ता का दावेदार बताए जाने के बाद से दोनों दल भले ही स्पष्ट बहुमत हासिल कर लेने का दावा कर रहे हों, लेकिन वे प्लान-बी पर भी काम कर रहे हैं। इस कड़ी में वे निर्दलीयों और बागियों से संपर्क साधने में जुटे हैं। परिस्थिति अनुकूल बनाने के लिए दोनों दल इनके लिए रेड कार्पेट बिछा सकते हैं।
विजयवर्गीय ने निर्दलीयों से साधा संपर्क:
मतगणना के बाद की स्थिति के मद्देनजर भाजपा कई दृष्टि से काम कर रही है। बहुमत के जादुई आंकड़े यानी 36 अथवा इससे अधिक सीटें जीतने पर उसे समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। यदि वह बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंचने के साथ ही सबसे बड़े दल के रूप में उभरती है तो उसे समर्थन जुटाना होगा।
इसी के दृष्टिगत भाजपा ने बागियों और निर्दलीयों से संपर्क साधने का क्रम शुरू किया है। विधानसभा चुनाव में विभिन्न सीटों पर पार्टी के 13 बागी मैदान में डटे रहे। इनमें दो-तीन ऐसे हैं, जो मजबूत स्थिति में बताए जा रहे हैं। यद्यपि, बागियों को पार्टी बाहर का रास्ता दिखा चुकी है, लेकिन मन में उनके लिए जगह छोड़ी हुई है। इसी क्रम में उनसे पार्टी नेताओं ने संपर्क साधा है।
कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों से की बात:
भाजपा सूत्रों के अनुसार रविवार से देहरादून में डेरा डाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने बुधवार को कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों से फोन पर बातचीत की।
इनमें हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और उत्तरकाशी जिले के निर्दलीय प्रत्याशी शामिल थे। सूत्रों ने बताया कि दो निर्दलीयों ने चुनाव में जीतने पर पार्टी का साथ देने की बात कही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की।
नर्म पड़ा कांग्रेस का बागियों के प्रति रुख:
विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने में चंद घंटे बचने के साथ ही कांग्रेस अब बागियों के प्रति भी नर्म पड़ती दिख रही है। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में गैर भाजपा दलों, निर्दलीयों पर ही मेहरबान दिख रही कांग्रेस का रुख अब बागियों पर भी बदलता दिखाई दे रहा है।
एक्जिट पोल के बाद कांग्रेस अब ज्यादा फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। कांग्रेस के आधा दर्जन से बागियों ने चुनाव मैदान में खम ठोका। मतगणना का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, कांग्रेस को अपने कुछ बागियों का प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद बंध रही है।
पार्टी अब इन्हें भी साधने की कोशिश कर रही है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर सरकार बनाने को उनकी मदद ली जा सके। इस काम में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक भी मोर्चा संभाले हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार बागियों के साथ ही बसपा प्रत्याशियों से भी अंदरखाने संपर्क साधा गया है, ताकि उनके रुख को भांपा जा सके। पार्टी अभी यह काम गुपचुप तरीके से ही कर रही है।