
गुजरात के नवनियुक्त मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने गांधीनगर पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता का विरोध करने वालों को कड़ी नसीहत दी।
धामी ने कहा कि देश संविधान और कानून से चलता है। यह मुट्ठीभर तथाकथित ठेकेदारों के हाथ की कठपुतली न है और न ही बनने देंगे। समान नागरिक संहिता समाज के हक में है और हमारी सरकार इसे हर हाल में लागू करके रहेगी।
अपनी ठेकेदारी छिन जाने का डर:
मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका विरोध वही कर रहे हैं, जिन्हें अपनी ठेकेदारी छिन जाने का डर है। ये वही लोग हैं जिन्होंने सदियों तक महिलाओं को पुरुष मानसिकता की बेड़ियों में जकड़े रखा था।
भाजपा ने लाखों मजबूर बहनों को बेड़ियों से मुक्ति दिलाई। जल्द ही उत्तराखंड सरकार एक और बंदिश की बेड़ियों को तोड़ेगी। हम समाज और जनता को मजबूत करते हैं तथाकथित ठेकेदारों को नहीं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि समाज में आपसी सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने के लिए उत्तराखंड में सरकार ने जहां मतांतरण कानून को सख्त किया है, वहीं प्रदेश के हितों को ध्यान में रखते हुए समान नागरिक संहिता को लागू करना हमारी प्राथमिकता में है।
वर्तमान में प्रचलित कानून में संशोधन व सुझाव दिए जाएं:
समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए सरकार ने समिति का गठन कर कदम आगे बढ़ा दिया है। समिति के उत्तरदायित्व हैं कि राज्य में निवास करने वाले सभी नागरिकों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक कानूनों का मसौदा तैयार किया जाए।
वर्तमान में प्रचलित कानून में संशोधन व सुझाव दिए जाएं। साथ ही राज्य में विवाह, तलाक के संबंध में प्रचलित कानूनों में एकरूपता लाने का मसौदा बनाया जाए। संपति के अधिकार एवं उत्तराधिकार के संबंध में प्रचलित कानूनों में एकरूपता के साथ ही विरासत, गोद लेने एवं रखरखाव और संरक्षण के संबंध में प्रचलित कानून में एकरूपता लाई जाए।
दो से सात साल तक जेल होगी और 25 हजार जुर्माना लगेगा:
जबरन मतांतरण पर उन्होंने कहा कि इसे लेकर सरकार का रुख स्पष्ट है कि देवभूमि में आपसी भाईचारे से छेड़छाड़ की हरकतों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार ने जबरन मतांतरण को संज्ञेय एवं गैर जमानती माना है। ऐसा करने वालों को दो से सात साल तक जेल होगी और 25 हजार जुर्माना लगेगा।
वहीं अवयस्क महिला, एससी, एसटी के मतांतरण पर पर सजा को दो से 10 साल तक किया गया है। देवभूमि में सामूहिक मतांतरण पर अंकुश लगाने के लिए तीन से 10 साल तक की सजा व 50 हजार जुर्माने का प्रविधान किया गया है।पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से पांच लाख रुपये की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
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