जमरानी बांध बहुद्देश्यीय परियोजना अब जल्द ही धरातल पर मूर्त रूप लेगी। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की मंगलवार को दिल्ली में हुई बैठक में उत्तराखंड की इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) में सम्मिलित करने की स्वीकृति दे दी गई।
वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा:
राज्य की ओर से बैठक में शामिल हुए सचिव सिंचाई एचसी सेमवाल ने इसकी पुष्टि की। 2584.10 करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना के लिए धनावंटन को अब जलशक्ति मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के प्रति आभार जताया है।
जलशक्ति मंत्रालय की इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस कमेटी की बीती 10 जून को हुई बैठक में जमरानी बांध परियोजना को पीएमकेएसवाई में 90:10 के अनुपात में निवेश की स्वीकृति प्रदान की गई थी। मंगलवार को हुई जलशक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में इस परियोजना के संबंध में चर्चा हुई और इसे पीएमकेएसवाई में सम्मिलित करने को स्वीकृति दे दी गई।
कुमाऊं क्षेत्र में गौला नदी पर इस परियोजना का खाका वर्ष 1975 में खींचा गया। 1981 तक वहां बैराज व नहरों के कार्य हुए, लेकिन बांध नहीं बन पाया। उत्तराखंड बनने पर इसके लिए फिर से प्रयास हुए और सरकार ने केंद्र में दस्तक दी। पर्यावरणीय स्वीकृति समेत अन्य औपचारिकताएं पूरी होने के बाद अब इसके शीघ्र निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
जमरानी बांध परियोजना:
2584.10 करोड़ रुपये है कुल लागत
130.6 मीटर नदी तल से बांध की ऊंचाई
9000 मीटर लंबी व 20 मीटर गहरी होगी झील
57065 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई की मिलेगी सुविधा
42 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक मिलेगा
63 मिलियन यूनिट बिजली का हर साल होगा उत्पादन
06 गांव (भीमताल ब्लाक-नैनीताल) होंगे परियोजना से प्रभावित