
उत्तराखंड में गठित होने जा रही पांचवीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तय करने की राह भी आसान नहीं रहने वाली है। निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का इस पद पर दावा स्वाभाविक रूप से मजबूत है, लेकिन हार के बाद पार्टी में मचे घमासान के बीच इस पद के लिए भी नए दावेदार सामने आने लगे हैं।
हरीश धामी ने अपनी दावेदारी ठोक दी:
इसे प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के गुटों में बढ़ती खींचतान के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है। रावत के खास समर्थकों में शुमार धारचूला से नवनिर्वाचित विधायक हरीश धामी ने इस पद पर अपनी दावेदारी ठोक दी है।
प्रदेश की चौथी विधानसभा भंग:
10 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद प्रदेश की चौथी विधानसभा भंग हो चुकी है। अब पांचवीं विधानसभा के गठन की कसरत चल रही है। नई विधानसभा के लिए नेता प्रतिपक्ष का चयन भी होना है। प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस के 19 सदस्य इस बार विधानसभा पहुंचे हैं। विधानसभा में दूसरी पार्टी बसपा है।
कांग्रेस सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं प्रीतम:
नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस को ही मिलना है। इस पद पर निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह पार्टी के भीतर सबसे मजबूत दावेदार हैं। प्रीतम छठी बार चकराता विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए हैं। राज्य बनने के बाद से अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे प्रीतम सिंह पिछली दोनों कांग्रेस सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
हरीश रावत को निशाने पर ले चुके हैं प्रीतम:
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता यानी नेता प्रतिपक्ष पद पर प्रीतम के स्वाभाविक दावे को पार्टी के भीतर ही चुनौती भी मिल रही है। दरअसल प्रीतम सिंह कांग्रेस की हार के लिए टिकटों के वितरण और कटौती पर सवाल खड़े कर चुके हैं। उन्होंने पांच वर्ष तक विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय व्यक्ति को ही वहां टिकट दिए जाने की बात कही, साथ में हार को लेकर होने वाले मंथन पर इन बिंदुओं पर खुलकर चर्चा के संकेत भी दिए।
प्रीतम सिंह के निशाने पर कहीं न कहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रहे हैं। कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप के युद्ध पर पार्टी हाईकमान भी सख्त हिदायत दे चुका है।
हरीश धामी ने कहा, अब बहुत हो चुका:
अब रावत खेमे के करीबी माने जाने वाले पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से नवनिर्वाचित विधायक हरीश धामी ने नेता प्रतिपक्ष पद पर दावेदारी
की है। इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में धामी ने कहा कि जिस तरह भाजपा युवा नेतृत्व को आगे बढ़ा रही है, उसी तरह कांग्रेस को भी नेता प्रतिपक्ष पद के लिए उन्हें मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब बहुत हो गया।
कांग्रेस आलाकमान को नए नेतृत्व पर विचार करना होगा। धामी के इन तेवरों के निहितार्थ भी तलाश किए जा रहे हैं। उधर, पिथौरागढ़ की तरह ही दूसरे सीमांत जिले से चमोली की बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित राजेंद्र भंडारी के समर्थक भी उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए इंटरनेट मीडिया पर मुहिम चला रहे हैं।