बड़े भाई और छोटे भाई की जुगलबंदी उत्तराखंड को रास आ रही है। अलग राज्य बनने के 21 वर्ष बाद ही सही, उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से उसका हक मिल रहा है। हाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन दिनी प्रवास पर उत्तराखंड आए। योगी मूल रूप से उत्तराखंड के ही हैं। पौड़ी जिले के अपने पंचूर गांव में दो दिन रहे और फिर हरिद्वार में परिसंपत्तियों के हस्तांतरण की कड़ी में होटल अलकनंदा उत्तराखंड को सौंप गए।
इस प्रवास के दौरान उन्हें और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बड़े भाई, छोटे भाई का विशेषण मिला। भाजपा ने परिसंपत्तियों पर अधिकार मिलने को उपलब्धि बताया, तो भला कांग्रेस कैसे चुप रह जाती। उठा दिए सवाल इस पर भी। वैसे, इसमें कांग्रेस की कसक अधिक महसूस हुई। उत्तर प्रदेश से वर्षों पहले सत्ता से विदाई हो चुकी, अब उत्तराखंड में भी ऐसा ही होता दिख रहा है।
अब चम्पावत के चुनाव पर टिकी सबकी नजर:
चम्पावत विधानसभा सीट के उप चुनाव के लिए मैदान सज गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधानसभा चुनाव हार गए थे, तो उनके लिए कैलाश गहतोड़ी ने सीट खाली की। उधर, कांग्रेस ने दावा तो जोर-शोर से किया कि मुख्यमंत्री धामी को वाकओवर कतई नहीं दिया जाएगा, लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी हेमेश खर्कवाल ने तीन महीने के भीतर फिर चुनाव लडऩे में कोई रुचि दिखाई ही नहीं।
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कुछ कथित शुभचिंतकों ने सुझाव दे डाला कि मुख्यमंत्री को पूर्व मुख्यमंत्री रावत ही टक्कर दे सकते हैं। कुछ भाजपाई भी रावत को चुनौती देने में पीछे नहीं रहे। यह अलग बात है कि रावत जैसे राजनीतिक धुरंधर ने इस ओर कतई कान नहीं दिए। कांग्रेस ने अब नए चेहरे के रूप में निर्मला गहतोड़ी पर दांव खेला है। अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि चुनावी मुकाबला नजदीकी होगा या फिर एकतरफा।
तुम्हारा पिता भी वक्त का मारा हुआ है:
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तराखंड के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जो इंटरनेट मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर प्रतिद्वंद्वियों पर हमला करते हैं, लेकिन इस बार बेटे ने ही पिता को निशाने पर ले लिया। हरीश रावत के पुत्र आनंद रावत ने अपनी इंटरनेट मीडिया पोस्ट में नेताओं पर जन्मदिन की बधाई और शोक संवेदना व्यक्त करने में व्यस्त रहने को लेकर तंज कसा, तो अपने पिता को भी नहीं बख्शा।
आनंद ने युवाओं के कौशल विकास और रोजगार को लेकर अपनी बात रखी और साथ ही सवाल दागा कि यह सब करेगा कौन। अपने पिता सहित कई नेताओं के नामों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कटाक्ष किया कि इनकी इंटरनेट मीडिया पोस्ट बधाई और शोक संदेश से संबंधित ही होगी, लेकिन राज्य के चिंतन पर कुछ नहीं मिलेगा। हरीश रावत की तरफ से जो जवाब आया, वह भी दिलचस्प है, तुम्हारा पिता भी वक्त का मारा हुआ है।
इन्हें तो अब आप ही अच्छे लगने लगे:
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। पार्टी संगठन के बड़े पदों पर रहे और विधानसभा चुनाव लड़ चुके बिष्ट ने इसका जो कारण बताया, उसका लब्बोलुआब यह रहा कि इतनी बुरी गत बनने के बाद भी नेताओं ने सबक नहीं लिया। बात तो सही है, लेकिन कांग्रेस छोडऩे के चंद घंटों बाद नेताजी दिल्ली पहुंचे और बेटे समेत आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए।
कांग्रेस ने हालिया चुनाव में सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और 19 पर जीत दर्ज की। आप सभी 70 सीटों पर ताकत आजमाने उतरी, मगर एक भी सीट हासिल करने में नाकामयाब रही। इसके बावजूद कांग्रेस के एक नेता ने आप की शरण ली तो समझा जा सकता है कि कांग्रेस के भविष्य को लेकर पार्टी के नेता किस कदर अनिश्चय में हैं। उन्हें कांग्रेस में भविष्य नहीं दिखता और आप इसका विकल्प नजर आने लगी है।

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