उत्तराखंड के दिग्गज कांग्रेस नेताओं को पार्टी हाईकमान ने फिर झटका दिया है। राजस्थान में प्रस्तावित कांग्रेस के तीन दिनी चिंतन शिविर में किसानों और कृषि समेत विभिन्न रणनीतिक मामलों के लिए बनाई गई समितियों और समन्वय पैनल में प्रदेश को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तक को एक भी पैनल या समिति में जगह नहीं मिली है।
हाईकमान की नाराजगी बरकरार:
प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली हार को लेकर कांग्रेस हाईकमान की नाराजगी बरकरार दिख रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष के पदों पर तमाम अनुमान और क्षत्रपों की दावेदारी को दरकिनार कर पार्टी पहले ही नए चेहरों पर दांव खेल चुकी है।
लंबे समय बाद अब ऐसा भी हुआ कि कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे चिंतन शिविर की विभिन्न महत्वपूर्ण समितियों और पैनल में उत्तराखंड से किसी को भी स्थान नहीं दिया गया। इसे पार्टी हाईकमान के दिग्गज नेताओं के प्रति बदले रुख के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ जब कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता की दौड़ से बाहर हो गई।
भावी रणनीति में प्रदेश का योगदान नहीं:
पार्टी ने अपनी भावी रणनीति के लिए तैयार की जाने वाली रूपरेखा में अब उत्तराखंड को हिस्सेदार नहीं बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत भी रणनीतिक समिति में स्थान को तरस गए। पार्टी ने चिंतन शिविर में राजनीतिक, सामाजिक न्याय व सशक्तीकरण, आर्थिक, संगठन, किसान व कृषि और युवा सशक्तीकरण विषयों पर रणनीतिक पेपर तैयार करने के लिए छह समन्वय पैनल गठित किए हैं। प्रदेश से इसमें किसी को भी जगह नहीं मिली।
प्रदेश के नेता स्तब्ध:
इसी तरह चार अन्य केंद्रीय समितियों का हाल है। यही नहीं, पड़ोसी राज्य हिमाचल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गठित विभिन्न समितियों में भी राज्य के नेताओं को मौका नहीं दिया गया है। पार्टी के इस रुख से प्रदेश के नेता भी स्तब्ध हैं। साथ ही इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।