उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की परिसंपत्तियों की जांच होगी। समाज कल्याण मंत्री चंदन राम दास ने सोमवार को बोर्ड की समीक्षा बैठक के बाद इस संबंध में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को जांच कमेटी गठित करने के आदेश दिए। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में बिना मान्यता के चल रहे मदरसों की भी जांच कराई जाएगी। वर्तमान में 192 मदरसे ऐसे हैं, जो केंद्र व राज्य सरकार से प्रबंधन के लिए अनुदान भी प्राप्त कर रहे हैं। सभी मदरसों को शिक्षा विभाग से विधिवत मान्यता लेने को कहा गया है।
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में वर्तमान में 2089 परिसंपत्तियां पंजीकृत हैं, जबकि गैर पंजीकृत परिसंपत्तियों की भी बहुत बड़ी संख्या बताई जा रही है। पंजीकृत परिसंपत्तियों के खुर्द-बुर्द होने की बातें अक्सर सामने आती रही हैं। हाल में हरिद्वार जिले में कब्रिस्तान की भूमि बेचने का मामला सामने आया था। अब सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए बोर्ड की परिसंपत्तियों की जांच कराने का निर्णय लिया है।
समाज कल्याण मंत्री चंदन राम दास ने कहा कि वक्फ बोर्ड की परिसंपत्तियों के दुरुपयोग की शिकायतें उनके संज्ञान में आई हैं। जांच कमेटी सभी परिसंपत्तियों की जांच करेगी। जो भी दोषी होगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में वर्तमान में 425 मदरसे संचालित हो रहे हैं, लेकिन कोई भी शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त नहीं है। उन्होंने बताया कि 192 मदरसों को प्रबंधन के लिए केंद्र व राज्य सरकार से अनुदान मिल रहा है, लेकिन बात सामने आई है कि मदरसों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों को मानदेय नहीं दिया जा रहा है। इस सबको देखते हुए इसकी जांच के निर्देश दिए गए हैं।
कैबिनेट मंत्री के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मदरसे शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त करें और उन्हें जो सामग्री दी जा रही है, उसका सदुपयोग हो।
1995 के बाद नहीं हुआ सर्वे:
वक्फ बोर्ड की परिसंपत्तियों के दृष्टिगत अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1995 में सर्वे हुआ था। इसके बाद वर्ष 2013 में वक्फ अधिनियम में संशोधन किया गया। इसमें जिलाधिकारियों को सर्वे कमिश्नर नामित किया गया, लेकिन सर्वे कार्य नहीं हो पाया।