वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से मंजूरी मिल गई है। मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI सर्वे की मंजूरी दी गई है। इस आदेश के बाद सबके मन में सवाल आ रहा है कि आखिर ASI है क्या और इसके जरिए इतने बड़े विवाद को सुलझाने में कैसे मदद मिलेगी। साथ ही, लोगों के मन में यह सवाल भी आ रहा है कि आखिर इस सर्वे का मॉनिटरिंग कौन करता है।
राम मंदिर फैसले में निभाई अहम भूमिका:
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आगे का फैसला तय किया जाएगा। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद से पहले अयोध्या राम मंदिर के फैसले के दौरान भी एएसआई के सर्वे की काफी अहम भूमिका रही थी। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहा है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी।
हालांकि, साथ ही कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में यह भी कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है।
रामसेतु को लेकर रखी अपनी राय:
2007 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने रामसेतु पर अपनी राय रखी थी। एक रिपोर्ट में कहा गया था कि राम सेतु एक प्राकृतिक संरचना से ज्यादा कुछ नहीं है। भारत सरकार ने एएसआई के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया कि संरचना का निर्माण भगवान राम द्वारा किए जाने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिला है।
इस खबर में हम आपको ASI से जुड़े सभी सवालों के जवाब देंगे। हम आपको बताएंगे कि ASI होता क्या है, इसकी स्थापना कब हुई, इसके जनक कौन थे और साथ ही बताएंगे कि कितने साइट एएसआई के अंतर्गत आते हैं।