रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ छह हजार पांच सौ चुनिंदा अतिथि होंगे, किंतु इन सभी को रामलला के दर्शन का अवसर तभी मिलेगा, जब प्रधानमंत्री प्राण प्रतिष्ठा की पूजा करने के बाद वापस लौट जाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को सुबह 9:45 बजे से मध्याह्न 12:45 बजे तक प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री इस अनुष्ठान में मुख्य यजमान के रूप में हिस्सा लेंगे। यह जानकारी रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने दी। वह कारसेवकपुरम में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट किया कि 22 जनवरी को रामलला का दर्शन उन्हीं लोगों को मिल सकेगा, जो छह हजार पांच सौ लोग प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए आमंत्रित होंगे। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में ट्रस्ट की ओर से जो लोग आमंत्रित होंगे, उन्हें ही रामजन्मभूमि परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। प्रधानमंत्री के अतिरिक्त किसी अन्य अतिथि के साथ कोई सुरक्षाकर्मी, सहायक-सहयोगी नहीं जा सकेगा। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में जो छह हजार पांच सौ लोग आमंत्रित होंगे, उनमें सनातन संस्कृति के विभिन्न संप्रदायों-उप संप्रदायों के चार हजार प्रतिनिधि होंगे।
इनमें से अधिकांश धर्माचार्य एवं मठाधीश होंगे, किंतु प्रधानमंत्री की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए वह अपने साथ सम्मान-पहचान का परिचायक छत्र, चंवर, आसन, गुरु पादुका आदि लेकर परिसर में प्रवेश नहीं पा सकेंगे। जबकि अन्य ढाई हजार आमंत्रित लोगों में प्रमुख उद्योगपति, अधिवक्ता, सेनानायक, वैज्ञानिक, सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं राम मंदिर के लिए प्राणोत्सर्ग करने वालों के वंशज शामिल होंगे।