इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही साइबर अपराधी भी पहले से ज्यादा एक्टिव हो गए। जहां एआई टेक्नोलॉजी इंटरनेट यूजर के काम को आसान बना रही है, वहीं यह टेक्नोलॉजी साइबर अपराधियों को भी लुभा चुकी है। फ्रॉडजीपीटी नाम का एक नया खतरा पैदा हुआ। साइबर अपराधी फ्रॉडजीपीटी की मदद से यूजर को अपना निशाना बना रहे हैं।
क्या है FraudGPT?
सबसे पहले यही समझते हैं कि फ्रॉडजीपीटी क्या है। दरअसल FraudGPT एक एआई चैटबॉट है। यह एआई चैटबॉट मॉडल जनरेटिव मॉडल्स की खूबियों का फायदा उठा कर हैकर्स के लिए कंटेंट तैयार कर रहा है। यह चैटबॉट मॉडल यूजर के प्रॉम्प्ट के आधार पर कंटेंट को तैयार करता है।
हैकर इस एआई चैटबॉट की मदद से ऐसे मैसेज को तैयार करने का काम कर रहे हैं, जिनकी मदद से किसी इंटरनेटर यूजर को आसानी से जाल में फंसाया जा सकता है। यूजर ऐसे कंटेंट को पहचान नहीं पा रहे हैं और हैकर के मुताबिक काम भी कर रहे हैं।
कैसे काम करता है FraudGPT?
अब समझते हैं कि एआई साइबर अपराध से जुड़ा फ्रॉडजीपीटी काम कैसे करता है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यूजर के लिए इस चैटबॉट के इस्तेमाल के साथ भ्रामक कंटेंट तैयार किया जा रहा है। यूजर को फंसाने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है-
फिशिंगः FraudGPT यूजर की प्राइवेट और बैंकिंग जानकारियों को चुराने के लिए फिशिंग ईमेल, टेक्स्ट मैसेज, वेबसाइट तैयार कर रहा है।
सोशल इंजीनियरिंग: हैकर्स की मदद करने वाला यह एआई चैटबॉट यूजर से इंसानों जैसे ही बात करता है। चैटबॉट यूजर का विश्वास जीतने के बाद बातों ही बातों में यूजर की जानकारियों को बताने के लिए उकसाता है।मालवेयर: FraudGPT यूजर की जानकारियों को चुराने के लिए ऐसे लिंक भी क्रिएट कर रहा है, जिन पर क्लिक करने के साथ ही डिवाइस में मालवेयर की एंट्री हो सकती है। इसके अलावा, हैकर की मदद करते हुए फ्रॉडजीपीटी मालवेयर वाले अटैचमेंट भी तैयार कर रहा है।धोखाधड़ी वाले डॉक्यूमेंट: FraudGPT हैकर की मदद करते हुए ऐसे डॉक्यूमेंट को तैयार कर रहा है जो चालान, पेमेंट से जुड़े हैं। यूजर को धोखा देने के लिए इस तरह के धोखाधड़ी वाले डॉक्यूमेंट टारगेटेड यूजर को भेजे जा रहे हैं।
FraudGPT से बचने के लिए क्या करें?
फ्रॉडजीपीटी से बचने के लिए यूजर को इंटरनेट का इस्तेमाल करने में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। किसी भी मेल को बिना जांचे अपनी बैंकिंग और प्राइवेट डेटा की जानकारियां न दें।
डिवाइस में मालवेयर का प्रवेश न हो, इसके लिए सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें और एंटीवायरस प्रोग्राम का इस्तेमाल करें।
इंटरनेट का इस्तेमाल करने के दौरान किसी भी अनजान सोर्स वाले लिंक पर क्लिक करने से बचें। इसके साथ ही अनजान सोर्स से आए अटैचमेंट को भी चेक करने से बचें।
किसी साइबर अपराध का शिकार हो भी जाते हैं तो तुरंत इसकी रिपोर्ट करें। यूजर साइबर अपराध की रिपोर्ट सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर भी कर सकता है।