राज्य सरकार को हर महीना लाखों रुपये के राजस्व की चपत लगाने और परिवहन विभाग से लाइसेंस लिए बिना आनलाइन एप के माध्यम से यात्रियों की बुकिंग कर रही कंपनियों और इनके वाहनों पर परिवहन विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा की ओर से यात्री बुकिंग एप या वेबसाइट चला रही टैक्सी व बाइक-टैक्सी कंपनियों (ओला, उबर, रैपिडो व ब्ला-ब्ला) को एक-एक लाख रुपये जुर्माने का नोटिस भेजा गया है। नोटिस में उत्तराखंड परिवहन विभाग से उक्त कंपनियों को लाइसेंस लेने को भी कहा गया है। नोटिस में कंपनियों को चेतावनी दी गई कि अगर वह लाइसेंस नहीं लेती हैं तो उनके अधीन संचालित वाहनों को सीज किया जाएगा।
पहले नहीं थी ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवा की अनुमति
बता दें कि, उत्तराखंड में पहले यात्रा की ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवा को सरकार की अनुमति नहीं थी, लेकिन साल-2020 में सरकार ने इसकी अनुमति प्रदान करते हुए एक शर्त लगा दी कि निजी कंपनियों को इसके लिए परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। इसके बावजूद वर्तमान समय में सभी कंपनियां लाइसेंस लिए बिना ही बुकिंग एप चलाकर वाहनों का संचालन कर रही हैं। राज्य सरकार को इससे हर माह लाखों रुपये के राजस्व हानि हो रही है। परिवहन विभाग की ओर से एक साल में इन कंपनियों के 100 से अधिक वाहन क्रमवार अभियान में सीज किए जा चुके हैं, लेकिन इनका संचालन फिर भी लगातार जारी है।
10 दिन में चेकिंग अभियान चलाकर कार्रवाई करेगी आरटीओ
इसके विरोध में मंगलवार को दून टैक्सी एसोसिएशन की ओर से आरटीओ कार्यालय में धरना और प्रदर्शन कर दोपहर तक टैक्सी का संचालन भी प्रभावित रखा गया था। आरटीओ ने 10 दिन के भीतर चेकिंग अभियान चलाकर कार्रवाई की बात कही थी।
अब बुधवार को आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा ने बुकिंग एप व वेबसाइट संचालित कर रही कंपनियों को उत्तराखंड में लाइसेंस लेने के निर्देश दिए हैं। कार्रवाई की शुरुआत कर रैपिडो, ओला, उबर व बला-बला को एक-एक लाख रुपये जुर्माने के नोटिस जारी किए गए हैं। आरटीओ ने बताया कि जल्द ही टीमें बनाकर शहर में व्यापक अभियान चलाकर इन कंपनियों के वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
बस कंपनियों पर भी कार्रवाई
आरटीओ ने बताया कि टैक्सी व बाइक-टैक्सी के अलावा बस कंपनी को भी नोटिस जारी किया जाएगा। कई बस कंपनियां देहरादून में आइएसबीटी के नजदीक हरिद्वार बाइपास से ऑनलाइन टिकट बुक कर यात्रियों का परिवहन कर रही हैं। इनके पास भी परिवहन विभाग की अनुमति नहीं है।