टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या और इनके जंगल की देहरी पार करने की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए अब देश के सभी टाइगर रिजर्व में वासस्थल सुधार के लिए ठोस रणनीति बनाई जाएगी। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में वन अनुसंधान संस्थान परिसर स्थित आइजीएनएफए (इंदिरा गांधी नेशनल फारेस्ट एकेडमी) सभागार में हुई एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह भी तय किया गया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए राज्यों के सहयोग से प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। बाघों के टाइगर रिजर्व से बाहर निकलकर आबादी वाले क्षेत्रों में धमकने की घटनाओं पर बैठक में विशेष रूप से चर्चा हुई। इस दौरान तय किया गया कि बाघों के लिए सभी टाइगर रिजर्व के साथ ही इनसे सटे वन प्रभागों में वासस्थल सुधार के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर विचार-विमर्श
इसमें एनटीसीए हर संभव सहयोग देगा। बैठक में शामिल हुए उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्र ने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। बैठक में कहा गया कि बाघ, गुलदार, हाथी जैसे जानवरों को आबादी वाले क्षेत्रों में जाने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की दरकार है। यह इस तरह से होने चाहिए कि वन्यजीव भी सुरक्षित रहें और मनुष्य भी। इसके दृष्टिगत भी बैठक में ठोस एवं प्रभावी रणनीति बनाने का निर्णय लिया गया। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने डब्लूआइआइ (वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया) के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पश्मीना सर्टिफिकेशन एंड नेक्सट जेनरेशन डीएनए सिक्वेंसिंग सुविधा का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सुविधा जैव विविधता संरक्षण के लिए गेम चेंजर साबित होगी। इस अवसर पर उपस्थित केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्ति वर्द्धन सिंह ने भी विचार रखे।
वनों में अग्नि नियंत्रण के लिए अलग से बनेगी नीति
वनों में आग और इससे वन संपदा को पहुंचने वाली क्षति को लेकर केंद्र सरकार भी संजीदा है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि वनों में अग्नि नियंत्रण के लिए अलग से नीति बनाई जाएगी। यह राज्यों व क्षेत्रों के हिसाब से होगी। भारत वन स्थिति की रिपोर्ट-2023 इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि देश में आर्थिकी व पारिस्थितिकी सामंजस्य के साथ-साथ चले, इस पर विशेष जोर दिया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री यादव, शनिवार को भारतीय वन सर्वेक्षण की भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2023 जारी करने के बाद वन अनुसंधान संस्थान के बोर्ड रूम में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। कहा कि इस रिपोर्ट में जंगल की आग का विषय भी प्रमुखता से रखा गया है। वनों में अग्नि नियंत्रण की दिशा में नीतियां बनाने में यह कारगर साबित होगी। उन्होंने कहा कि आग की घटनाओं में कुछ कमी आई है, लेकिन चुनौती बरकरार है। इसे देखते हुए पांच वर्ष के आंकड़ों के आधार पर आग की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र चिह्नित करने के लिए राज्यों से कहा गया है। सभी की भागीदारी से जंगल बचाए जाएंगे। वनों में लगने वाली आग के नियंत्रण में जनभागीदारी बढ़ाने का विशेष प्रयास रहेगा।
सभी राज्यों को किया जाएगा प्रोत्साहित
एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वन स्थिति रिपोर्ट में चिंता है तो उत्साह, आकांक्षा व गौरव भी है। देश में कुछ राज्यों और विशेषकर पूर्वात्तर में वनावरण में कमी दर्ज की गई है, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण, आपदा जैसे कारण इसके लिए जिम्मेदार हैं। यद्यपि, इन सभी राज्यों को वन व वृक्ष आवरण बढ़ाने की दिशा में काम करने को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अधिकांश राज्यों में केंद्र की नीतियों, क्षतिपूरक वनीकरण, एक पेड़ मां के नाम, सतत प्रबंधन, ग्रीन इंडिया मिशन जैसे कार्यक्रमों के फलस्वरूप वन व वृक्ष आवरण बढ़ा है। जीडीपी (ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट) की तर्ज पर जीईपी (ग्रास एनवायरमेंटल प्रोडक्ट) की पहल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सभी सकारात्मक सुझावों को लेकर आगे बढ़ा जाएगा। ग्रासलैंड कम होने संबंधी प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जितने भी प्रकार के वन हैं, उनका उल्लेख रिपोर्ट में है। ग्रासलैंड का विषय भी इसमें है, जिसे बढ़ाने को प्रयास किए जाएंगे। मानव-वन्यजीव संघर्ष से संबंधित प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इसके निवारण को कदम उठाए जा रहे हैं। इस क्रम में क्षमता विकास पर जोर दिया जा रहा है।