माफिया अतीक की बेनामी संपत्ति की डील में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल बिल्डर, माफिया समेत कई लोगों के बैंक खातों की जांच होगी। अतीक के परिवार और गैंग से जुड़े लोगों को कुछ लोग पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। इसी आधार पर उनके बैंक ट्रांजेक्शन का ब्योरा भी खंगाले जाने की बात कही जा रही है।
अब तक की पुलिस की जांच में यह साफ हो चुका है कि अतीक के वकील विजय मिश्रा के माध्यम से गौसपुर कटहुला वाली जमीन की डील होनी थी। जमीन का सौदा झूंसी के भूमाफिया राजेश यादव से होना था। वह माफिया के फाइनेंसर रहे बिल्डर मो. मुस्लिम की मदद से एयरपोर्ट के नजदीक वाली जमीन पर टाउनशिप बसाने की योजना बनाई थी।
अहम भूमिका निभा रहा खालिद जफर
तफ्तीश में जुटी पुलिस को यह भी पता चला है कि जमीन को संरक्षित रखने में अतीक का रिश्तेदार खालिद जफर भी अहम भूमिका निभा रहा था। वह कई और बिल्डरों से दूसरी बेनामी संपत्ति को बिकवाने का प्रयास कर रहा था, लेकिन जैनब से संपर्क न होने के कारण मामला अटका था।
कुछ बिल्डरों ने फरारी काट रही शाइस्ता, जैनब समेत कई लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाई है। इसी आधार पर पुलिस सभी के बैंक एकाउंट व ट्रांजेक्शन की जांच करते हुए साक्ष्य जुटाने की कवायद शुरू कर दी है। प्रमाणिक साक्ष्य मिलने पर बिल्डरों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।
हड़ताल खत्म होने के बाद भी वकीलों का विरोध-प्रदर्शन
माफिया अतीक के अधिवक्ता विजय मिश्रा की गिरफ्तारी के विरोध में जिला अधिवक्ता संघ की ओर से हड़ताल समाप्त किए जाने के बावजूद विरोध-प्रदर्शन जारी है। गुरुवार को अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी, राकेश तिवारी, पूर्व मंत्री राकेश कुमार दुबे, पूर्व कोषाध्यक्ष रत्नेश कुमार शुक्ला, पूर्व आडिटर अमरीश कुमार त्रिपाठी समेत तमाम अधिवक्ताओं ने संघ के बाहर सभा की।
इसमें हड़ताल को वापस लिए जाने की निंदा की गई और विजय मिश्रा की गिरफ्तारी का विरोध किया गया। एल्डर कमेटी को ज्ञापन देकर वर्तमान में चल रहे आंदोलन तथा चुनाव संबंधी समस्त निर्णय लेने की मांग की गई। इसके बाद विजय मिश्रा की गिरफ्तारी के विरोध में अधिवक्ताओं ने जिला कचहरी परिसर के बाहर सड़क पर दरी बिछाकर धरना शुरू कर दिया। यह भी कहा कि मांग पूरी न होने तक विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा।