रजिस्ट्री फर्जीवाड़े समेत मूल रिकार्ड गायब किए जाने के मामले में पुलिस अब उप निबंधक कार्यालय प्रथम व द्वितीय के संदिग्ध अधिकारियों व कर्मचारियों की संपत्ति की जांच में जुट गई है। इनमें कुछ संदिग्धों की जानकारी आयकर विभाग से मांगी गई है। जांच में सामने आया है कि कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की आय में एकदम से बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है, जिसकी आय के साधनों की जानकारी जुटाई जा रही है।
रजिस्ट्रार कार्यालय व भूमाफिया की मिलीभगत से हुए इस फर्जीवाड़े में कई पूर्व अधिकारी व कर्मचारी भी संदेह के दायरे में हैं। सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव की ओर से फर्जीवाड़े की जांच करने के लिए वर्ष 2,000 से लेकर अब तक पुलिस को उप निबंधक कार्यालय प्रथम व द्वितीय के उप निबंधक सहित निबंधक लिपिक के नाम भी उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि कईयों की मृत्यु भी हो चुकी है। इसके अलावा पुलिस विभाग ने 27 व्यक्तियों की आईटीआर मांगी है, इनमें कुछ कार्मिक और भूमाफिया भी शामिल हैं।
अभिलेखों से छेड़छाड़ किए जाने का मामला
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि इस मामले कुछ पूर्व अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता भी सामने आ सकती है। बता दें कि जिलाधिकारी के जनता दरबार एवं शिकायत के अन्य पटल पर दर्ज कराई गई शिकायत के क्रम में उप निबंधक कार्यालय प्रथम एवं द्वितीय के अभिलेखों का निरीक्षण कराया गया। इसमें उप निबंधक कार्यालय की ओर से धारित जिल्दों में प्रथम दृष्टया अभिलेखों से छेड़छाड़ किए जाने का मामला सामने आया है।
रिकॉर्ड में हेरफेर कर स्वामित्व बदले
अपर जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, प्रारंभिक रूप से वर्ष 1978 व वर्ष 1984 की छह रजिस्ट्रियों/भूमि अभिलेखों में फर्जीवाड़ा किया गया है, जिसमें भूमाफिया ने रिकॉर्ड में हेरफेर कर स्वामित्व बदल डाले और मूल रिकार्ड तक गायब कर दिए।
लिखावट, स्याही, मुहर और पेज में भिन्नता
जांच के मुताबिक, फर्जी रजिस्ट्रियों में हाथ की लिखावट, स्याही, मुहर और पेज में भिन्नता पाई गई है। मामले की विवेचना कर कर रही शहर कोतवाली पुलिस मक्खन सिंह निवासी ग्राम नगलिया खुर्द थाना माधव टांडा जिला पीलीभीत उत्तर प्रदेश को गिरफ्तार कर चुकी है। जल्द ही अन्य की गिरफ्तारी हो सकती हैं।