बागेश्वर उपचुनाव में सभी धड़ों को साधकर आम सहमति से प्रत्याशी चुनने की कांग्रेस की रणनीति गड़बड़ा गई है। वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रहे रंजीत दास ने ऐन वक्त पर पार्टी का दामन छोड़ दिया।
इससे सकते में आई पार्टी अब चुनावी मुकाबले को आमने-सामने का बनाने को ताकत झोंक रही है। पलटवार के तौर पर आप और भाजपा के नेताओं को एक-दो दिन में कांग्रेस में सम्मिलित कराया जाएगा। साथ में पार्टी जीत की संभावना देखकर किसी बाहरी के लिए अपने दरवाजे खोलकर उपचुनाव लड़ाने का दांव खेलने की तैयारी में है।
कांग्रेस ने पूर्व मंत्री गोपाल राम के पुत्र रंजीत दास को वर्ष 2022 में बागेश्वर सुरक्षित सीट से टिकट दिया था। उन्हें विधानसभा चुनाव में 20,017 मत मिले थे और उन्हें 12141 मतों के अंतर से पराजय मिली थी। शनिवार को रंजीत दास ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। उनका नाम पार्टी हाईकमान को भेजे गए तीन सदस्यीय पैनल में भी सम्मिलित बताया जा रहा है।
कांग्रेस बागेश्वर उपचुनाव मुकाबले को कड़ी टक्कर बनाने के लिए मेहनत कर रही है। प्रयास ये किया जा रहा है कि मुकाबले को त्रिकोणीय के बजाय आमने-सामने का बनाया जाए। पिछले चुनाव में मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने वाले आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बसंत कुमार को लगभग 16 हजार मत मिले थे।
बसंत कुमार और भैरव नाथ थाम सकते हैं कांग्रेस का दामन
कांग्रेस के रणनीतिकार कांग्रेस के भीतर और बाहर, ऐसे प्रत्याशी की तलाश कर रहे थे, जो मुकाबले को आमने-सामने का बनाने में सक्षम हो। साथ ही आम सहमति से प्रत्याशी चुने जाने के लिए भी पार्टी अपने बड़े और स्थानीय स्तर पर दमदार नेताओं को साधने में जुटी थी। पार्टी की इस मुहिम को रणजीत दास ने झटका दे दिया है। बसपा छोड़कर आप में सम्मिलित हुए बसंत कुमार को अब कांग्रेस में लाने की तैयारी है।
वह रविवार को कांग्रेस की सदस्यता ले सकते हैं। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें प्रत्याशी बना सकती है। इसके अतिरिक्त भैरव नाथ, बचन राम भी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि रंजीत दास के जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भाजपा व अन्य दलों से कई नेता व पूर्व प्रत्याशी कांग्रेस में आएंगे। भाजपा की पराजय के लिए मजबूत प्रत्याशी के रूप में बाहर से आने वाले को भी टिकट दिया जा सकता है।