प्रदेश में आयुष सेवाओं को अगले पांच वर्षों तक जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश की आयुष नीति में इसके लिए आयुष पारिस्थितिकी तंत्र के पांच स्तंभ चिह्नित किए गए हैं। इनमें औषधीय पादपों की कृषि, आयुष विनिर्माण (औषधियां एवं उपभोक्ता उत्पाद), स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस व शिक्षा तथा अनुसंधान को शामिल किया है। उद्देश्य यह रखा गया है कि इन क्षेत्रों में निवेश व निजी क्षेत्रों की भागीदारी को बढ़ाया जाए। इस नीति को कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रदेश सरकार आयुष को लगातार बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। कारण यह कि आयुष यहां की संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। आयुष में स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस, शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं। यहां औषधीय पादप व औषधियोंं की भरमार है। जरूरत इनके संबंध में प्रचार-प्रसार की है। इस कड़ी में आयुष विभाग ने आयुष नीति बनाई है। इसे शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में रखा गया। नीति में आयुष विनिर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस, शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए इनमें निवेश व निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की बात कही गई है। नीति में उल्लेख है कि आयुष संबंधी उत्पादों तथा सेवाओं में सुधार के लिए आयुष पारिस्थितिकी तंत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। उत्पादन प्रक्रिया में दक्षता, उत्पादकता तथा जागरूकता वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी व नवाचार को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। आयुष के विकास तथा इसे जन-जन तक पहुंचाने को आपसी सहयोग के लिए भी नीति में जोर दिया गया है। इसमें यह भी प्रविधान किया गया है कि राज्य सरकार आयुष पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने के अलावा प्रोत्साहन भी प्रदान करेगी। इसके लिए आयुष चिकित्सालयों को ढाई लाख से लेकर 15 लाख तक की प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था की गई है।
चरेखडांडा में बनेगा अनुसंधान केंद्र
नीति में आचार्य चरख की पौड़ी गढ़वाल के दुगड्डा स्थित जन्मस्थली चरेखडांडा में आयुष आधारित अनुसंधान केंद्र के रूप में भी विकसित करने का प्रविधान किया है।