मानसून में अतिवृष्टि के चलते भूस्खलन, भूधंसाव, बाढ़ जैसी आपदाओं से पहुंची क्षति से उबरने के मद्देनजर राज्य सरकार अब 1100 करोड़ रुपये की मदद के लिए केंद्र में दस्तक देने जा रही है। विभिन्न विभागों के साथ बैठक कर इससे संबंधित प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जाएगा। संभव है कि इस माह के आखिर तक इसे केंद्र सरकार को भेज दिया जाए। इसी हिसाब से शासन तैयारियों में जुट गया है। विदाई की ओर बढ़ रहे मानसून ने इस वर्ष 15 जून से अब तक उत्तराखंड को गहरे घाव दिए हैं। इस कालखंड में विभिन्न जिलों में आपदा ने 96 व्यक्तियों की जान ले ली, जबकि 48 घायल हुए हैं। 16 व्यक्ति अभी तक लापता हैं। 2509 घर आपदा की चपेट में आए हैं। इसके साथ ही निजी और सार्वजनिक संपत्ति को भारी क्षति पहुंची है। शासन द्वारा कराए जा रहे आकलन के मुताबिक विभिन्न विभागों को पहुंची क्षति का आंकड़ा 1400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें क्षतिग्रस्त सड़कों, समेत अन्य योजनाओं के लिए 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था तो राज्य आपदा मोचन निधि से हो जाएगी, लेकिन शेष धनराशि जुटाना काफी मुश्किल भरा होगा। इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से मदद का आग्रह करने का निश्चय किया है। अब इससे संबंधित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है, जिसके लिए कसरत तेज कर दी गई है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार अभी तक क्षति का जो आकलन हुआ है, उसके दृष्टिगत सभी विभागों के साथ बैठक की जाएगी। इसमें केंद्र को भेजे जाने वाले प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जाएगा। यह प्रस्ताव 1100 करोड़ या इससे ज्यादा का भी हो सकता है। इसके फाइनल होने पर यह केंद्र को भेज जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र से राज्य को मदद मिल जाएगी।