उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने संबंधी विधेयक में संशोधन के लिए गठित विधानसभा की प्रवर समिति अब जल्द ही इससे संबंधित ड्राफ्ट को अंतिम रूप देगी। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित प्रवर समिति की बुधवार को हुई दूसरी बैठक में आरक्षण से जुड़े विषयों पर गहन मंथन हुआ। साथ ही सदस्यों से सुझाव लिए गए। समिति के अध्यक्ष अग्रवाल के अनुसार समिति जो भी निर्णय लेगी, वह राज्य आंदोलनकारियों के हित में होगा।
10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने को लेकर हुई चर्चा
आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार की ओर से विधेयक पेश किया गया था। तब सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों ने विधेयक को अधूरा बताते हुए इसमें कई विषयों को शामिल करने की जरूरत बताई थी। इसके बाद सर्वसम्मति से यह विषय विधानसभा की प्रवर समिति को सौंपने का निर्णय लिया गया। समिति इस विधेयक में संशोधन के दृष्टिगत सभी पहलुओं पर विमर्श के बाद ड्राफ्ट तैयार कर विधानसभा अध्यक्ष को सौंपेगी। समिति की पहली बैठक 18 सितंबर को हुई थी। इसमें आए सुझावों को विधिक कसौटी पर परखने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए थे।
नौ अक्टूबर को बुलाई गई दूसरी बैठक
नौ अक्टूबर को दूसरी बैठक बुलाई गई थी, लेकिन तब समिति में सदस्य के रूप में शामिल विपक्ष के विधायक उपस्थित नहीं हो पाए थे। नतीजतन इसे स्थगित कर दिया गया था। बुधवार को विधानसभा भवन के सभागार में यह बैठक हुई, जिसमें पिछली बैठक में आए सुझावों और उनके संबंध में विधिक स्थिति की जानकारी ली गई। साथ ही सदस्यों से सुझाव भी लिए गए। समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में समिति के सदस्य विधायक विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान, उमेश शर्मा काऊ, भुवन चंद्र कापड़ी, मोहम्मद शहजाद उपस्थित थे। एक सदस्य विधायक मनोज तिवारी बैठक में नहीं पहुंच पाए।
सभी पहलुओं पर होगा मंथन
बाद में मीडिया से बातचीत में समिति के अध्यक्ष एवं संसदीय कार्य मंत्री अग्रवाल ने कहा कि विषय से जुड़े सभी पहलुओं पर समिति गंभीरता से मंथन कर रही है। अब इसके ड्राफ्ट को अंतिम स्थिति में लाया जा रहा है। समिति की एक और बैठक होगी, जिसमें इसे फाइनल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि क्षैतिज आरक्षण से जुड़े विषय पर भविष्य में किसी प्रकार की वैधानिक कठिनाई न आए, इसी के दृष्टिगत यह विषय प्रवर समिति को सौंपा गया था। उन्होंने जब इस पर अंतिम मुहर लगेगी तो प्रयास रहेगा कि इसमें किंतु-परंतु के लिए जगह न हो।