क्या वर्ष 2024 में भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल सकती है? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि इन दोनों देशों की सदस्यता वाला शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का नया अध्यक्ष पाकिस्तान बना है। अगले वर्ष इस संगठन की सारी बैठकें पाकिस्तान में ही होंगी। अगले वर्ष भारत और पाकिस्तान में आम चुनाव होने के बाद नई सरकारें भी सत्ता में होंगी। ऐसे में रिश्तों को सुधारने की नई कोशिश भी संभव है। गुरुवार को किर्गिजस्तान में एससीओ के सरकारों के प्रमुखों की बैठक पाकिस्तान के नये अध्यक्ष होने की घोषणा की गई। विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पाकिस्तान को नया अध्यक्ष बनने पर बधाई भी दी है।
पाकिस्तान से पहले भारत था अध्यक्ष
वर्ष 2023 में भारत एससीओ का अध्यक्ष था। भारत में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाक के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने हिस्सा भी लिया था। बाद में भारत ने एससीओ के प्रमुखों की बैठक वर्चुअल तरीके से कराने का फैसला किया था। पहले भौतिक तौर पर यह बैठक नई दिल्ली में कराने की तैयारी थी। इन दो पड़ोसी देशों के अलावा रुस, चीन, ताजिकिस्तान, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान इसके पुराने सदस्य हैं। इस साल ईरान को भी इसका सदस्य बनाया गया है। मंगोलिया और बेलारूस को अगले वर्ष सदस्य बनाये जाने की संभावना है।
बीआरआई पर भारत का निशाना
चीन के साथ अपने तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद भारत इस संगठन का सक्रिय सदस्य बना हुआ है। भारत इन देशों के साथ अलग कारोबारी व कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए भी काम कर रहा है। बहरहाल, गुरुवार की बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने बगैर किसी लाग-लपेट के चीन की बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) पर निशाना लगाया। अपने भाषण में उन्होंने भारत के पुराने स्टैंड को रखा कि किसी भी तरह की कनेक्टिविटी परियोजनाओं में हर देश की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का पालन होना चाहिए। भारत इस समस्या को लेकर सभी सदस्य देशों के साथ बात करने व सहयोग करने को तैयार है। भारत इस तथ्य को सबसे ज्यादा महत्व देता है। हमें इस क्षेत्र में कनेक्टविटी परियोजनाओं पर काम करने की जरूरत है।
विदेश मंत्री ने उठाया सप्लाई चेन का मुद्दा
इसके साथ ही जयशंकर ने हाल ही में लॉन्च की गई भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनोमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) का भी जिक्र किया और बताया कि हम इस परियोजना में इस बात का ख्याल रखेंगे कि विकासशील देशों पर कोई अतिरिक्त कर्ज का बोझ ना पड़े और पूरे क्षेत्र में आर्थिक संवृद्धि ले कर आये। जयशंकर ने सप्लाई चेन का मुद्दा भी उठाया और जिस तरह की समस्या बनी है उसे दूर करने के लिए एससीओ के बीच बेहतर सामंजस्य की बात की।