उत्तराखंड के सांसद अजय टम्टा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वह प्रधानमंत्री आवास में आयोजित बैठक में अजय टम्टा भी मौजूद रहे। इससे यह संंभावना प्रबल हो गई है। बता दें कि वह वर्ष 2014 में राज्य मंत्री बनाए गए थे। इन लोकसभा चुनावों में उन्होंने अल्मोड़ा संसदीय सीट पर जीत दर्ज की थी। इस सीट पर वह लगातार तीसरी बार विजय रहे थे। वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने पर उन्होंने अपनी संसदीय सीट की जनता का आभार जताया है।
अजय टम्टा ने ऐतिहासिक जीत की हासिल
अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा ने लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीत हैट्रिक बनाई। अजय टम्टा ने रिकार्ड 234097 मतों ने से जीत दर्ज करने में सफलता पाई। भाजपा ने 429167 मत व कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने 195470 मत प्राप्त किए। भाजपा-कांग्रेस के अलावा अन्य पांच प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। उनसे अधिक मत नोटा को मिले। नोटा को 16697 मत मिले। अजय टम्टा को बीते 2019 के लोकसभा से बेहतर प्रदर्शन किया। 2019 में भाजपा को 444651 मत व कांग्रेस को 211665 मत मिले। तब भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा 232986 जीते थे। भाजपा को 63.54 व कांग्रेस को 29.96 प्रतिशत मत मिले। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन सुधर गया। भाजपा प्रत्याशी को इस बार 65.78 प्रतिशत मत मिले। कांग्रेस का मत प्रतिशत घटकर 30 प्रतिशत हो गया। भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा ने के बाद विजयी भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा ने जनता का आभार व्यक्त किया।
कम समय में बनकर उभरे सितारा
जिला पंचायत सदस्य से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले अजय टम्टा एक बार सितारा बनकर उभरे हैं।
संघ से नजदीकी रखने वाले टम्टा ने काफी कम समय में अपना राजनीतिक कद बढ़ाया।
1997 में जिला पंचायत के सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। जिपं चुनाव जीतने के बाद उन्हें जिला पंचायत का उपाध्यक्ष बनाया गया।
वर्ष 1999 में जिला पंचायत अध्यक्ष बने।
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन पर दांव खेला और वह सोमेश्वर सीट से विजयी घोषित किए गए। खंडूरी सरकार में वह उद्यान व जेल मंत्री बने।
2012 में उन्होंने फिर सोमेश्वर सीट से फिर विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की।
वर्ष 2009 में अल्मोड़ा संसदीय सीट आरक्षित हुई। तब पार्टी ने उन्हें टिकट दिया। लेकिन वह कांग्रेस के प्रदीप टम्टा से 6950 मतों से चुनाव हार गए।
एक बार की बगावत
राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो अजय टम्टा ने सोमेश्वर से अपनी दावेदारी की। लेकिन टिकट नही मिला। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में टम्टा को हार का सामना करना पड़ा।