मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की आय के संसाधन बढ़ाने के लिए बुधवार को स्वयं मोर्चा संभाला। कर राजस्व से जुड़े विभागों को सुदृढ़ वित्तीय प्रबंधन का मूल मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि राजस्व संसाधनों में वृद्धि के लिए प्रयास और नवाचार में तेजी लाई जाए। राजस्व बढ़ाने के लिए नए स्रोतों पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में वित्तीय मितव्ययता और राजस्व वृद्धि के संबंध में बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राजस्व संग्रहण में वृद्धि के लिए नई रणनीति और तौर-तरीके अपनाए जाएं। कर संग्रहण प्रक्रिया में और सुधार किया जाए। साथ में कर चोरी रोकने के लिए नियमित कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। विकास और जनहित से जुड़े विभिन्न कार्यों का आमजन को पूरा लाभ मिलना चाहिए। कार्यों में मितव्ययता के साथ गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जाए।
खनन से प्रथम छमाही में 52 प्रतिशत राजस्व की प्राप्ति
मुख्यमंत्री ने खनन क्षेत्र में राजस्व वृद्धि के प्रयासों को सराहा। चालू वित्तीय वर्ष की प्रथम छमाही में गत वर्ष की तुलना में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह कुल वार्षिक लक्ष्य का 52 प्रतिशत है। एसजीएसटी, परिवहन, आबकारी, वानिकी, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में राजस्व वृद्धि के लिए और अधिक प्रयास करने पर उन्होंने बल दिया। यह भी कहा कि मितव्ययता के बहुत से आयाम हैं। सुदृढ़ कानून व्यवस्था से जहां एक ओर निवेश बढ़ता है, आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं। राज्य के कर व करेत्तर आय में वृद्धि होती है। इसी प्रकार नीतिगत पहल से भी राज्य की आय में वृद्धि हो सकती है। मितव्ययता सुनिश्चित की जा सकती है।
कल्याणकारी राज्य से समझौता नहीं है मितव्ययता
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकार की नई नीतियों और जिन नीतियों में संशोधन किया गया है, उनका प्रभाव प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट रूप से दिखना चाहिए। नीतियों के सफल क्रियान्वयन के लिए समग्र दृष्टिकोण के साथ कार्य किए जाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि मितव्ययता का अर्थ कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से समझौता करना नहीं है। हमारी रणनीति बेहतर ढंग से कार्य करने की होनी चाहिए। महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए आवश्यक है कि राज्य में संसाधनों में वृद्धि करें। बड़ी परियोजनाओं की सही लागत और लाभ का विश्लेषण करें। उत्पादकता में सुधार, अनावश्यक खर्च में कटौती और संसाधनों का सही उपयोग मितव्ययता के लिए आवश्यक है।
कर राजस्व में 16.96 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य
बैठक में बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष में कर राजस्व में 16.96 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2023-24 में राज्य के कर राजस्व में 12.52 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। साथ ही राज्य ने पूंजीगत कार्यों में पहली बार 10 हजार करोड़ से अधिक खर्च किया। 20 माह में राज्य की जीएसडीपी 1.3 गुना बढ़ी है। दो वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बैठक में राज्य राजस्व संसाधनों में वृद्धि के प्रयासों, प्रतिबद्ध और गैर प्रतिबद्ध व्यय की प्रवृत्ति, महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता,राजकोषीय संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग करने जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
ई-मॉनीटरिंग पर दिया बल
इस अवसर पर डीपीआर बनाने से लेकर परियोजना पूरा करने तक पूंजीगत परियोजनाओं के कार्य की ई-मानीटरिंग, ई-गवर्नेंस का उपयोग और राजस्व स्रोतों की डिजिटल निगरानी पर बल दिया गया। रिकार्ड, दस्तावेज और सेवाएं देने को पेपरलेस विधि के उपयोग, ई-वाहन को बढ़ावा देने पर भी मंथन हुआ। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जिन योजनाओं में केंद्रांश और राज्यांश क्रमशः 90 और 10 के अनुपात में हो, उनको अधिक प्राथमिकता दी जाए। नाबार्ड से वित्त पोषित सार्वजनिक कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। बैठक में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव न्याय प्रदीप पंत, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एल फैनई, विशेष प्रमुख सचिव अमित सिन्हा समेत शासन के अधिकारी एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।