पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में अधिकांश में जीत की उम्मीद कर रही कांग्रेस को नतीजों से खासा झटका लगा है। उत्तराखंड में भी पार्टी इन चुनावों को लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल मान कर चल रही थी, जिसमें उसे जीत की पूरी उम्मीद थी। विशेष रूप से मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम को लेकर पार्टी आशान्वित थी। प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को विभिन्न राज्यों में अहम जिम्मेदारी मिली थी। पार्टी मानकर चल रही थी कि चुनाव परिणाम के बाद बढ़े हुए मनोबल के साथ वह लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरेगी। यद्यपि, तेलंगाना में मिली जीत ने पार्टी के हार के दर्द को जरूर थोड़ा कम किया है। उत्तराखंड कांग्रेस कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश में मिली जीत के बाद पांच राज्यों में हो रहे चुनावों को लेकर काफी आशान्वित थी। कांग्रेस से प्रीतम सिंह, हरक सिंह रावत, गणेश गोदियाल समेत 15 नेताओं को इन चुनावों में पर्यवेक्षक सहित प्रचार की जिम्मेदारी मिली थी। इसके बाद एग्जिट पोल में जिस प्रकार के संकेत मिले, उससे भी कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ने लगी थीं।
कांग्रेस मान रही थी कि पार्टी का जनाधार अब धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इससे वह प्रदेश में भी पार्टी का जनाधार बढ़ने की उम्मीद बांधे हुई थी। पार्टी की सोच थी कि सकारात्मक परिणाम अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तराखंड में भी कांग्रेस को मजबूती देंगे। ऐसा हुआ नहीं। नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता यशपाल आर्य ने कहा कि वह उन सभी को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उन्हें वोट दिया। इन राज्यों में निसंदेह प्रदर्शन निराशाजनक रहा है, लेकिन कांग्रेस इन तीनों राज्यों में खुद के पुननिर्माण और पुनर्जीवित करने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं ने चारों राज्यों में संपूर्ण मेहनत से कार्य किया। कांग्रेस अस्थायी असफलता से उबरेगी और लोकसभा चुनाव के लिए खुद को तैयार करेगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि वह जनता जर्नादन के निर्णय को स्वीकार करते हैं। लोकतंत्र में अंतिम निर्णय जनता का ही होता है। पार्टी के स्तर पर जो भी कमियां रही होंगी, निश्चित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व द्वारा इस पर मंथन किया जाएगा। पार्टी में सभी ने मेहनत की।