उत्तराखंड में भाजपा को दो-तिहाई बहुमत हासिल होने के बावजूद मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पाई है। यद्यपि, मुखिया की दौड़ में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम आगे चल रहा है, लेकिन अंदरखाने अन्य विधायक भी हाथ-पैर मारने में जुटे हैं।
होली तक टल सकता है नेता चयन का मामला:
धामी की पैरवी करने वालों को जवाब देने के लिए एक धड़ा हिमाचल प्रदेश का उदाहरण देकर यह भी कह रहा है कि नए चेहरे को सामने लाकर पार्टी नेतृत्व चौंका भी सकता है। इस परिदृश्य के बीच मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अब सभी दिल्ली पर टकटकी लगाए हैं। जैसे संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है कि नेता चयन का मामला होली तक टल सकता है। 20 या 21 मार्च को नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है।
धामी अपनी सीट गंवा बैठे:
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चेहरा घोषित किया था। पार्टी ने चुनाव में दो-तिहाई बहुमत तो हासिल कर लिया, लेकिन दुर्भाग्य से धामी अपनी सीट गंवा बैठे। ऐसे में नया मुख्यमंत्री कौन होगा, क्या धामी को ही अवसर दिया जाएगा या फिर पार्टी किसी नए चेहरे को लाएगी, ऐसे तमाम प्रश्न राजनीतिक गलियारों में तैर रहे हैं। भाजपा के साथ ही जनता के बीच भी इसे लेकर उत्सुकता बनी हुई है।
इस परिदृश्य के बीच अभी तक मुख्यमंत्री धामी का नाम नए मुखिया की दौड़ में आगे चल रहा है। पार्टी के आधा दर्जन निर्वाचित विधायक उनके लिए सीट खाली करने की पेशकश तक कर चुके हैं। साथ ही केंद्रीय नेताओं के चुनाव के दौरान के वक्तव्यों का हवाला दिया जा रहा है तो काम करने के लिए समय कम मिलने का भी।
कुछ नेताओं की दिल्ली दौड़
इसके अलावा पूर्व में अरुण जेटली व स्मृति ईरानी के लोकसभा चुनाव में पराजित हो जाने पर उन्हें केंद्र में मंत्री बनाए जाने का तर्क भी दिया जा रहा है। यही नहीं, किंतु-परंतु का धुंधलका भी कम नहीं है। अंदरखाने अन्य विधायक व दावेदार भी अपने-अपने हिसाब से कोशिशों में जुटे हैं। कुछ नेताओं की दिल्ली दौड़ को इससे जोड़कर देखा जा रहा है।
पार्टी के बीच से ही एक गुट यह हवा भी देने लगा है कि जैसी परिस्थिति उत्तराखंड में है, वैसी ही पूर्व में हिमाचल प्रदेश की थी। तब हिमाचल में भाजपा के चुनाव जीतने लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के चुनाव हारने के बाद पार्टी ने वहां नए चेहरे को अवसर दिया था। पार्टी यहां भी ऐसा ही कर सकती है। ऐसे में अब सभी दिल्ली पर नजर गड़ाए हैं कि पार्टी नेतृत्व क्या निर्णय लेता है। चर्चा है कि एक-दो दिन में पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौपेंगे। फिर सभी पहलुओं पर मंथन होगा।
ये भी संकेत मिल रहे हैं कि उत्तराखंड में मुखिया का चयन होली के बाद होगा। असल में भाजपा ने उत्तराखंड समेत चार राज्यों में जीत हासिल की है। अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर संशय नहीं है। ऐसे में पहले इन राज्यों पर पार्टी ध्यान केंद्रित करेगी। यही नहीं, पार्टी के सभी दिग्गजों को इन राज्यों में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना है। ऐसी स्थिति में उत्तराखंड के बारे में इसके बाद विचार किया जाएगा। होलाष्टक को भी एक कारण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य नेता यहां शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रह सकते हैं।