पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि संकल्प पारित होने के बाद तीसरा ग्रीष्मकाल है, लेकिन इस दौरान गैरसैंण को राजधानी बनाना तो छोड़िए, मुख्यमंत्री ने एक रात वहां बिताना भी मुनासिब नहीं समझा। सरकार के प्रतीक के तौर पर वहां कुछ नहीं है।
विधानसभा का बजट सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में नहीं कराए जाने से आहत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 14 जुलाई को वहां किसी सरकारी दफ्तर में सांकेतिक तालेबंदी की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि लोग कह रहे हैं, सरकार गैरसैंण को भूल गई, लेकिन जब तक वह जिंदा है, गैरसैंण के मुद्दें को मरने नहीं देंगे।
गैरसैंण के मुद्दे पर पूर्व सीएम ने धामी सरकार पर भी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में संकल्प पारित होने के बाद भी ग्रीष्मकालीन सत्र वहां नहीं कराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संकल्प पारित होने के बाद तीसरा ग्रीष्मकाल है, लेकिन इस दौरान गैरसैंण को राजधानी बनाना तो छोड़िए, मुख्यमंत्री ने एक रात वहां बिताना भी मुनासिब नहीं समझा। सरकार के प्रतीक के तौर पर वहां कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्तर का कोई अधिकारी वहां छांकने तक नहीं गया। कोई मंत्रीमंडल की बैठक वहां नहीं हुई। उन्होंने कहा गैरसैंण राज्य के लोगों की भावनाओं का प्रतीक है, लेकिन इस सरकार ने इस भावना को सम्मान देने के बजाए, उसका अपमान किया है।
उन्होंने कहा कि वह सरकार को गैरसैंण को भूलने नहीं देंगे। 15 जुलाई को ग्रीष्मकाल समाप्त हो रहा है, इससे पहले 14 को वह गैरसैंण जाकर प्रदर्शन करने के साथ किसी सरकारी कार्यालय में सांकेतिक तालाबंदी कर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। बताते चलें कि इससे पहले भी हरीश रावत विधानसभा सत्र की अवधि के दौरान गैरसैंण में विधानसभा के सम्मुख धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।