मतदान के अगले ही दिन आत्मविश्वास से भरे पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा की या तो मुख्यमंत्री बन सकता हूं या फिर घर बैठ सकता हूं। उनके इस बयान ने एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। उत्तराखंड कांग्रेस में सीएम चेहरे को लेकर लंबे समय से लड़ाई चल रही है। चुनाव से पूर्व हरदा कई बार स्वयं को सीएम चेहरा घोषित कर चुके हैं। कई बार आलाकमान भी इससे असहज हो चुका है। अब मतदान के बाद एक बार फिर से हरदा ने वही राग छेड़ दिया है।
मंगलवार को लालकुआं से प्रत्याशी व पूर्व सीएम हरीश रावत ने पत्रकारों से कहा कि जनता का जनादेश मिलेगा तो वह सेवा को तत्पर हैं। उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री बनने पर आपकी क्या राय है। तो हरदा अपने खास अंदाज में बोले, हरीश रावत या तो मुख्यमंत्री बन सकता है या फिर घर पर बैठ सकता है। इसके अलावा मेरे पास तीसरा कोई विकल्प नहीं रह गया है।मैं अपनी सोच का उत्तराखंड बनाऊंगा। जिसमे सभी सहयोगियों की सोच को समायोजित करूंगा। मैं पद के लिए अपनी सोच से समझौता नहीं कर सकता। न ही उसे छोड़ कर कुछ और काम कर सकता हूं। हरदा ने इस बयान से शीर्ष नेतृत्व के समक्ष भी अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।
इससे पहले भी ऐसी बयानबाजी कर चुके हरदा
विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले 22 दिसंबर को हरीश रावत ने बड़ा धमाका किया था। इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर अपनी ही पार्टी को निशाने पर लेते हुए संकेतों में धमकी दे डाली कि इसी तरह का रुख रहा तो वह राजनीति से संन्यास भी ले सकते हैं। उधर, रावत के मीडिया सलाहकार व प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को भाजपा का एजेंट कहकर आग में और घी डाल दिया था।