न्यूयॉर्क से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। दरअसल, यहां 78 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर ने दावा किया है कि पिछले साल एक रिश्तेदार से फोन पर हिंदी में बात करने के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था।
स्थानीय समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 78 वर्षीय अनिल वार्ष्णेय ने मिसाइल रक्षा ठेकेदार पार्सन्स कॉर्पोरेशन और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के खिलाफ कंपनी पर प्रणालीगत भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है।
हिंदी में बात करने पर किया बर्खास्त
26 सितंबर, 2022 को भारत में अपने रिश्तेदार के साथ लगभग दो मिनट तक चली टेलीफोन कॉल पर एक श्वेत सहकर्मी ने उन्हें हिंदी में बात करते हुए सुना, जिसके बाद उन्हें गलत तरीके से बर्खास्त कर दिया गया।
झूठी रिपोर्ट बनाकर किया बर्खास्त
मुकदमे में दावा किया गया कि दूसरे कार्यकर्ता ने झूठा और जानबूझकर रिपोर्ट किया कि वार्ष्णेय ने गोपनीय जानकारी का खुलासा करके सुरक्षा उल्लंघन किया।
वार्ष्णेय ने अपने मुकदमे में कहा कि कॉल पर उन्होंने कोई गोपनीय या वर्गीकृत जानकारी नहीं दी। उनके अनुसार, जिस कक्ष में उन्होंने वीडियो कॉल रिसीव किया था, वो एकदम खाली था। वहां पर ऐसा कुछ नहीं था, जिससे गोपनीय जानकारी साझा की जाती।”
सुरक्षा उल्लंघन का दावा करते हुए किया बर्खास्त
अलबामा के उत्तरी जिले में जून में दायर मुकदमे में कहा गया है, “कॉल को प्रतिबंधित करने वाली कोई नीति नहीं होने के बावजूद और बिना किसी जांच के, प्रतिवादियों ने दावा किया कि वार्ष्णेय ने गंभीर सुरक्षा उल्लंघन किया और उन्हें निकाल दिया।”
भविष्य के लिए किया ब्लैकलिस्ट
मुकदमे में कहा गया है, “इतने से भी उनको संतुष्टि नहीं मिली तो, उन्होंने वार्ष्णेय को भविष्य के काम से ब्लैकलिस्ट कर दिया, जिससे उसका करियर और मिसाइल डिफेंस एजेंसी (एमडीए) और यूए सरकार की सेवा का जीवन प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।”
कंपनी ने आरोपों से किया इनकार
समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 24 जुलाई को अदालत में दायर जवाब में पार्सन्स ने अपनी ओर से किसी भी गलत काम से इनकार किया। वार्ष्णेय ने जुलाई 2011 से अक्टूबर 2022 तक पार्सन्स हंट्सविले कार्यालय में काम किया और उन्हें सिस्टम इंजीनियरिंग में ‘कॉन्ट्रैक्टर ऑफ द ईयर’ के रूप में सम्मानित किया गया था और उन्हें जमीन-आधारित मिसाइल रक्षा कार्यक्रम पर 5 मिलियन डॉलर की बचत के लिए एमडीए अनुशंसा पत्र प्राप्त हुआ।
क्षतिपूर्ति चाहता है याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता का कहना है कि मामले में फैसला सुनाते हुए उसकी नौकरी के स्तर पर बहाल किया जाए और अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो, वह लाभ सहित अग्रिम वेतन और मानसिक पीड़ा तथा भावनात्मक संकट के लिए दंडात्मक और परिसमाप्त क्षति के साथ ही वकील की फीस चाहता है।