प्रदेश में हर वित्तीय वर्ष में बजट का आकार बढ़ने के साथ बजट का आकार बढ़ तो रहा है, लेकिन बजट खर्च करने की विभागों की क्षमता में वृद्धि नहीं हो पा रही है। निर्धारित बजट आकार और खर्च होने वाली बजट राशि में लगभग 15 हजार से 20 हजार करोड़ का बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। सरकार के सामने बजट आकार और खर्च में संतुलन साधने की चुनौती है। नए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रदेश सरकार ने बजट आकार 89230.07 करोड़ रखा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल बजट प्रविधान 77407.08 करोड़ किया गया था। इसमें अनुपूरक बजट को सम्मिलित नहीं किया गया है। नए बजट का आकार इससे पहले की तुलना में लगभग 11823 करोड़ रुपये यानी 15.27 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश सरकार हर वर्ष बजट में वृद्धि तो कर रही है, लेकिन उसके उपयोग को लेकर विभागों की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं कर सकी है। हालत यह है कि वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में बजट खर्च की प्रगति काफी धीमी रहती है।
यही नहीं, बजट स्वीकृति की गति में भी अपेक्षित तेजी नहीं आ पा रही है। परिणामस्वरूप वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने मार्च में ही बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करने की नौबत है। यह अलग बात है कि इसके बाद भी बड़ी धनराशि न तो स्वीकृत हो पा रही और न ही स्वीकृत राशि शत-प्रतिशत खर्च करने में विभागों को सफलता मिल रही है। इस मामले में राहत की बात यह है कि पूंजीगत मद के बजट को खर्च में चालू वित्तीय वर्ष में काफी प्रगति हुई। विभागों के अनुश्रवण के इस अभियान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी जुटना पड़ा है। केंद्रपोषित योजनाओं और बाह्य सहायतित योजनाओं की बजट राशि के खर्च को लेकर भी लगभग यही स्थिति है।