उत्तराखंड परिवहन निगम में खुद को अक्षम बताकर विभिन्न कार्यालयों में मौज काट रहे चालकों की अब खैर नहीं। महाप्रंबधक (प्रशासन) अनिल गबर्याल ने सभी डिपो के सहायक महाप्रबंधकों व केंद्र प्रभारियों को आदेश दिया है कि 58 वर्ष से कम आयु के किसी भी चालक से कार्यालय में कार्य न कराया जाए। इनसे केवल बस संचालन का कार्य लिया जाए। इस मामले में केवल उन्हीं चालकों को राहत होगी जो वास्तव में किसी दुर्घटना के कारण बस संचालन में पूर्णतया अक्षम होंगे। महाप्रबंधक ने डिपो अधिकारियों से यह भी पूछा है कि जो चालक बसों पर डयूटी नहीं दे रहे, उनके विरुद्ध कभी कार्रवाई की गई या नहीं। परिवहन निगम में संविदा व विशेष श्रेणी के तहत चालक व परिचालक जहां एक दिन में 500 किमी से ऊपर ड्यूटी कर रहे, वहीं इसके विपरीत नियमित चालक व परिचालक 150 किमी भी बस संचालन नहीं कर रहे हैं।
स्थिति यह है कि निगम में 300 से अधिक चालक-परिचालक खुद को अक्षम बताकर बसों पर डयूटी ही नहीं दे रहे और विभिन्न कार्यालयों में बैठे मौज काट रहे। दो वर्ष पहले परिवहन निगम ने जब इन चालक-परिचालकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश दिए तो यह उच्च न्यायालय पहुंच गए और निगम को इन्हें वापस रखना पड़ा। वर्तमान में निगम चालक-परिचालकों की कमी से जूझ रहा और आउट-सोर्स पर चालक व परिचालकों काे रखना पड़ रहा, जबकि उसके 300 से अधिक चालक-परिचालक सक्षम होते हुए भी बस संचालन नहीं कर रहे। गुरुवार को इसकी समीक्षा करते हुए महाप्रबंधक (प्रशासन) अनिल सिंह गबर्याल ने आदेश दिए कि अब केवल 58 वर्ष से अधिक आयु के चालकों से ही कार्यालयों में काम लिया जाएगा और शेष चालक बस संचालन पर डयूटी देंगे। महाप्रबंधक ने नाराजगी जताते हुए सभी डिपो के सहायक महाप्रबंधक, केंद्र प्रभारी और समयपाल को तलब किया है। उन चालक व परिचालक की पूरी रिपोर्ट मांगी है, जो निर्धारित किमी की ड्यूटी नहीं कर रहे। साथ ही महाप्रबंधक ने सभी डिपो से रिपोर्ट मांगी है कि इस संबंध में जो आदेश अगस्त-2022 में दिए गए थे, उसके क्रम में ऐसे चालक व परिचालकों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई तो सक्षम होते हुए भी बसों पर डयूटी नहीं दे रहे हैं।
संविदा व विशेष श्रेणी कर रहे 80 प्रतिशत बस संचालन
परिवहन निगम में 80 प्रतिशत बस संचालन संविदा व विशेष श्रेणी चालक और परिचालक कर रहे। दरअसल, इन्हें प्रति किमी की दर के हिसाब से वेतन मिलता है, इसलिए लंबी दूरी के अधितर मार्ग पर यही चालक और परिचालक बस संचालन कर रहे। नियमित चालक व परिचालक को वेतन के लिए तय किमी की बाध्यता नहीं है, ऐसे में वह बसों पर ड्यूटी देने के बजाए कार्यालयों में नेतागिरी में व्यस्त रहते हैं।
परिवहन निगम में प्रतिदिन किमी की बाध्यता
परिवहन निगम ने मार्ग की श्रेणीवार चालक-परिचालकों के लिए किमी की बाध्यता निर्धारित की हुई है। इसमें मैदानी मार्ग पर रोजाना 250 किमी, पर्वतीय मार्ग पर 175 किमी और मिश्रित मार्ग पर 200 किमी की बाध्यता है, लेकिन अधिकतर नियमित चालक व परिचालक यह किमी पूरे नहीं कर रहे। इसके अलावा वह ड्यूटी रेस्ट भी ले रहे, जो नियम विरुद्ध है।
महाप्रबंधक के अनुसार यह कार्य डिपो के सहायक महाप्रबंधक, केंद्र प्रभारी व समयपाल की मिलीभगत से चल रहा है। चेतावनी दी है कि अगर नियमित चालक-परिचालक तय किमी पूरे नहीं करते हैं तो अब अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।