करण जौहर निर्देशित रॉकी और रानी की प्रेम कहानी शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है। पारिवारिक और रोमांटिक फिल्में बनाते रहे करण ने इस बार इन दोनों जॉनर्स का मेल करवा दिया है। नई और पुरानी पीढ़ी के कलाकारों को एक साथ देखना सुखद अनुभव है। फिल्म के दृश्य भव्य विशाल और रंगों से भरे हैं मगर कहानी कुछ जगहों पर खिंची हुई लगती है।
मूवी रिव्यू:
कलाकार : रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, धर्मेंद्र, जया बच्चन, शबाना आजमी, तोता राय चौधरी, चूर्णी गांगुली, आमिर बशीर
निर्देशक : करण जौहर
निर्माता : हीरू यश जौहर, करण जौहर
लेखक : इशिता मोइत्रा
रिलीज डेट : Jul 28, 2023
प्लेटफॉर्म : सिनेमाहॉल
भाषा : हिंदी
बजट : NA
‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के साथ निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने सात साल बाद निर्देशन में वापसी की है। इस बीच उन्होंने ओटीटी के लिए निर्देशन किया, मगर सिनेमाघरों में उनके डायरेक्शन में बनी आखिरी रिलीज 2016 में आयी ऐ दिल है मुश्किल है, जिसमें रणबीर कपूर लीड रोल में थे और अब उनकी वापसी रणवीर सिंह के साथ हुई है।
पारिवारिक फिल्म कभी खुशी कभी गम और कुछ कुछ होता है, कभी अलविदा ना कहना, ऐ दिल है मुश्किल जैसी रोमांटिक फिल्म बना चुके करण इस बार राकी और रानी की प्रेम कहानी में इन दोनों जॉनर का मिश्रण लेकर आए हैं।
क्या है रॉकी और रानी की प्रेम कहानी की स्टोरी?
कहानी है रॉकी और रानी के प्रेम की, लेकिन परिवार के बिना प्रेम कहानी आगे नहीं बढ़ सकती है। कहानी शुरू होती है दिल्ली के रहने वाले रॉकी रंधावा (रणवीर सिंह) के साथ, जिसका जीवन में लक्ष्य अपनी बॉडी बनाना और अजीबोगरीब अतरंगी कपड़े पहना।
वहीं, रानी चटर्जी (आलिया भट्ट) महत्वाकांक्षी है। न्यूज चैनल में एंकर है। दोनों की मुलाकात होती है उनके दादा-दादी की वजह से। रॉकी के दादा कंवल (धर्मेंद्र) और रानी की दादी जामिनी (शबाना आजमी) किसी जमाने में एक-दूसरे से प्यार किया करते थे, लेकिन दोनों की शादी अलग-अलग जगहों पर हो गई थी।
अब रॉकी और रानी उन्हें मिलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस बीच उन्हें आपस में प्यार हो जाता है। रॉकी और रानी को इस बात का एहसास है कि दोनों के परिवार का रहन-सहन, संस्कृतियां एक-दूसरे से बिल्कुल मेल नहीं खाते हैं। ऐसे में परिवार को वह कैसे इस रिश्ते के लिए तैयार करेंगे।
इस बीच बातों-बातों में आइडिया निकलकर आता है कि क्यों न दोनों एक-दूसरे के परिवार के साथ तीन महीने बिताएं, ताकि उन्हें और उनके परिवार वालों को यह बात समझ में आए कि क्या वह आगे एक-दूसरे के साथ पूरी जिंदगी बिता पाएंगे? दोनों एक-दूसरे के परिवार को इंप्रेस करने के लिए पहुंच जाते हैं। क्या दोनों एक-दूसरे के परिवार का दिल जीत पाएंगे? कहानी इस पर आगे बढ़ती है।
कैसा है करण जौहर की फिल्म का स्क्रीन प्ले?
करण जौहर की फिल्मों की खास बात होती है कि उनका फ्रेम लार्जर देन लाइफ होता है, उसमें बहुत से रंग होते हैं, भव्य सेट, विदेशी लोकेशन पर गाने यह सारे मसाले उन्होंने इस फिल्म में भी बरकरार रखे हैं। भावनाओं को ह्यूमर के साथ मिलाने की कला करण में है। अपनी पिछली फिल्मों की ही तरह उन्होंने पारिवारिक मूल्यों के साथ कहानी में अहम संदेश भी है।
हालांकि, वहां तक पहुंचने में फिल्म समय लेती है। करण ने कॉमेडी और भावनात्मक दृश्यों के बीच दो परिवारों को लेकर जो संतुलन बनाया है, वह सराहनीय है। रॉकी जहां, रानी के गंभीर स्वभाव वाले सदस्यों के बीच रहकर हंसाता है। वहीं रानी, रॉकी के परिवार के बीच रहकर कुछ गंभीर दृश्य लेकर आती है।
धर्मेंद्र को बड़े पर्दे पर देखना सुकून भरा अनुभव है। वह भावुक दृश्यों में अपने साथ शामिल कर लेते हैं। हालांकि, धर्मेंद्र और शबाना के बीच किसिंग सीन की जरूरत नहीं लगती है। दादी के होते हुए रॉकी का अपने दादा को उनके पहले प्यार से मिलवाने वाले दृश्य थोड़े अटपटे लगते हैं। अजीब यह भी लगता है की रॉकी की दादी धनलक्ष्मी अपने पति को उसको पूर्व प्रेमिका से मिलने के क्यों नहीं रोकती है?
फिल्म का पहला हिस्सा बहुत धीमा है। दोनों परिवारों का इंट्रोडक्शन सीन, रॉकी और रानी के बीच पनपता प्यार और पूर्व प्रेमियों को मिलाने वाले सीन में ही चला जाता है। पहले हिस्से में नये से ज्यादा पुराने गाने- मस्त बहारों का मैं आशिक़…, मेरी प्यारी बिंदु…, हवा के साथ साथ…, अभी ना जाओ छोड़ कर…, ये शाम मस्तानी… सुनाई देते हैं, जो कई बार मजेदार लगते हैं, लेकिन कुछ देर बाद उबाऊ लगने लगते है।
ट्रेलर में दिखाये गये लगभग 80 प्रतिशत दृश्य इंटरवल से पहले ही नजर आ जाते हैं। फिल्म के प्रमोशन में इस्तेमाल किये गये झुमका… और तुम मिले… गाने भी पहले हिस्से में ही दिखा दिये गये हैं, जिसके चलते इंटरवल से पहले की फिल्म देखी-देखी लगती है।
कहानी को तर्कसंगत रखने के लिए कुछ किरदारों का चित्रण पटरी से उतर गया है। रॉकी और उसकी बहन गायत्री इतने बड़े और अमीर परिवार से हैं। दिल्ली में रहते हैं, लेकिन फिर भी वह पढ़े लिखे क्यों नहीं हैं, ये सवाल मन में रह जाते हैं। फिल्म के कुछ दृश्य गुदगुदाते हैं- ‘देवदास’ के गाने डोला रे डोला पर रणवीर सिंह और टोटा रॉय चौधरी का डांस तालिया बटोरता है।