केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि उसने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत राज्यों को गेहूं और चावल की बिक्री 13 जून से बंद कर दी है। सरकार ने यह कदम पर्याप्त बफर स्टाक बनाए रखने और खरीफ की फसल प्रभावित होने की चिंताओं के बीच मूल्यवृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उठाया है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि उसने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत राज्यों को गेहूं और चावल की बिक्री 13 जून से बंद कर दी है। सरकार ने यह कदम पर्याप्त बफर स्टाक बनाए रखने और खरीफ की फसल प्रभावित होने की चिंताओं के बीच मूल्यवृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उठाया है।
क्या कहा राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा:
खाद्य और उपभोक्ता मामलों की राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा में बताया, ”कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की राज्य सरकारों ने ओएमएसएस (घरेलू) नीति के तहत गेहूं और चावल के अनुरोध किया था, लेकिन राज्यों को बिक्री बंद होने के चलते इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया।”
गेहूं की खरीद:
एक अन्य सवाल के जवाब में ज्योति ने कहा कि रबी विपणन सीजन 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 262.02 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जो पिछले वर्ष के 187.92 लाख टन से 39.43 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय पूल के तहत गेहूं के स्टाक की स्थिति 275.80 लाख टन के बफर मानदंडों के मुकाबले 301.45 लाख टन है। मंत्री ने कहा, ”गर्मी की शुरुआत और भू-राजनीतिक तनाव के चलते गेहूं की वैश्विक कीमतों में वृद्धि हुई थी। हालांकि, देशभर के किसानों को उच्च बाजार दरों से लाभ हुआ, क्योंकि अधिकांश किसानों ने अपनी उपज निजी व्यापारियों को बेची।”
एक साल में 29 प्रतिशत घटे खाद्य तेलों के दाम:
खाद्य और उपभोक्ता मामलों की राज्यमंत्री साधवी निरंजन ज्योति ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और वैश्विक कीमतों में गिरावट के चलते पिछले एक साल में रिफाइंड सूरजमुखी तेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड पामोलीन की खुदरा कीमतों में क्रमश: 29 प्रतिशत, 19 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।
घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने और कम करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों में कच्चे तेल के साथ-साथ रिफाइंड खाद्य तेलों पर कई बार आयात शुल्क कम किया है। वित्त राज्यमंत्री भागवत किशन कराड़ ने संसद में बताया कि बैंकों ने पिछले नौ वर्षों में 10.16 लाख करोड़ रुपये के एनपीए की वसूली की है।