कांग्रेस ने समान नागरिक संहिता को लेकर प्रदेश सरकार के कदम पर टिप्पणी की है। पार्टी ने कहा कि यदि समान नागरिक संहिता देशहित में है तो इसे केवल उत्तराखंड पर थोपने के बजाय धामी सरकार इसे केंद्र से पूरे देश में लागू करवाए। प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने एक वक्तव्य में कहा कि यदि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो भी गई और देश में नहीं तो इसका कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। वैसे भी समान नागरिक संहिता केंद्र का विषय है। यदि भविष्य में केंद्र सरकार देश में समान नागरिक संहिता लाती है तो उस सूरत में उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता ठंडे बस्ते में चली जाएगी।
नागरिक संहिता पर धामी सरकार गंभीर नहीं
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि समान नागरिक संहिता पर धामी सरकार गंभीर नहीं है। पूर्व में इस संहिता के प्रारूप में सुझाव देने के मद्देनजर विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा द्वारा तीन बार पत्र लिखने के बाद भी उन्हें विशेषज्ञ समिति से प्रारूप नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस जानना चाहती थी कि प्रारूप में किन महत्वपूर्ण बातों की अनदेखी की गई है, उसके बाद ही वह सरकार को सुझाव दे सकती थी।
सरकार को है बेसब्री से इंतजार
समान नागरिक संहिता के प्रारूप का सरकार भी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही है। प्रारूप मिलने के बाद इसका अध्ययन कर सरकार इसे विधेयक का स्वरूप देगी। फिर इसे सदन से पारित कराने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा। ऐसे में सत्र जल्द हो सकता है। इस बात को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि विशेषज्ञ समिति ने उसे आवंटित कार्यालय को दिए गए सामान की गणना के संबंध में शासन को पत्र लिखकर किसी जिम्मेदार अधिकारी की तैनाती का अनुरोध किया था। इसके लिए शासन की ओर से अपर सचिव स्तर के अधिकारी की तैनाती भी की जा चुकी है।