पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन की ओर से गुरुवार को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित एक्स अभियान दिनभर ट्रेंड करता रहा। इस अभियान में उत्तराखंड से भी बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारियों ने पोस्ट कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग की।
प्रदेश अध्यक्ष जीत मणि पैन्यूली ने कहा कि एक्स अभियान को लेकर अधिकारी-कर्मचारियों में उत्साह देखा गया और सभी ने पुरजोर ढंग से यूपीएस का विरोध किया। सभी ने एक स्वर में मांग कि है कि कर्मचारियों को सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन दी जाए। प्रदेश के सभी मुख्यालय, निदेशालय, विधानसभा एवं सचिवालय के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी अभियान में बढ़-चढ़कर योगदान दिया। अब दो से छह सितंबर तक सभी कर्मचारी काली पट्टी बंधकर काम करेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा। अभियान में प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत, प्रांतीय अध्यक्ष महिला उर्मिला द्विवेदी, प्रांतीय प्रवक्ता सूर्य सिंह पंवार, प्रांतीय मीडिया प्रभारी मनोज अवस्थी, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शांतनु शर्मा, प्रचार-प्रसार सचिव हर्षवर्धन जमलोकी, अजीत सिंह चौहान, धीरेंद्र कुमार पाठक, नीरज नौटियाल, अनिल पंवार, मंडल अध्यक्ष विकास शर्मा, मंडल मंत्री देवेंद्र फर्स्वाण आदि शामिल हुए।
उत्तराखंड के कर्मचारियों को नहीं मिल पाएगा लाभ
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा का पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन गुरुवार को भी जारी रहा। प्रदेशभर के सरकारी विभागों में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। मोर्चा के प्रदेश प्रभारी विक्रम सिंह रावत ने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों का अधिकार है। सरकार की ओर से जो यूपीएस स्कीम लाई गई है, वह पूरी तरह कर्मचारी विरोधी है। मोर्चा प्रदेश महामंत्री सीताराम पोखरियाल ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली में कर्मचारियों से किसी भी तरह की कटौती नहीं की जाती थी। एनपीएस और यूपीएस में कर्मचारियों से कटौती की जा रही है। 25 साल की नौकरी के बाद ही कर्मचारियों को यूपीएस का लाभ देने की बात की जा रही है। इस दायरे में उत्तराखंड के हजारों कर्मचारी नहीं आने वाले है। क्योंकि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में कर्मचारी 40 से 42 वर्ष की उम्र में ही नौकरी पाते हैं। ऐसे में उत्तराखंड के कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। सरकार को हर हाल में अक्तूबर 2005 से पहले वाली पुरानी पेंशन की ही स्थिति बहाल करनी होगी। तब तक कर्मचारियों का आंदोलन लगातार तेज किया जाएगा।