दिल्ली के लिए बसों के संचालन पर आए संकट के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से उत्तराखंड परिवहन निगम के लिए 100 नई बसें खरीदने के अनुमोदन के बाद राज्य सरकार ने बस खरीद की तैयारी शुरू कर दी है। बसों की खरीद के लिए परिवहन निगम जो ऋण लेगा, राज्य सरकार उसके एवज में सालाना 6.25 करोड़ रुपये ब्याज चुकाएगी। नई बसें पहले से टाटा कंपनी को जारी 130 बसों के टेंडर पर खरीदी जाएंगी। सरकार ने टाटा कंपनी के अधिकारियों से बसों की आपूर्ति शीघ्र कराने को लेकर वार्ता शुरू कर दी है। सचिव परिवहन बृजेश कुमार संत ने बताया कि अगले डेढ़ से दो माह में नई 100 बसें मिल सकती हैं।
100 नई बीएस-6 डीजल बसों की खरीद
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन के बाद परिवहन निगम गुरुवार को 100 नई बीएस-6 डीजल बसों की खरीद पुराने टेंडर पर करने की तैयारी में जुटा रहा। निगम ने पिछले वर्ष ही 130 नई बीएस-6 बसों का टेंडर टाटा कंपनी को दिया था। टाटा के गोवा प्लांट से अब तक 77 बसों की आपूर्ति हो चुकी है, जबकि बाकी इस महीने के अंत तक आ जाएंगी। इसी टेंडर पर निगम टाटा कंपनी को 100 नई छोटी बसों का आर्डर देगा। ये बसें प्रदेश के पर्वतीय व दूरस्थ इलाकों को सीधे दिल्ली से जोड़ेंगी। इसके अतिरिक्त 100 सीएनजी बसें अनुबंध पर लेने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। परिवहन निगम 75 सीएनजी बसें अपनी खरीदना चाह रहा था, लेकिन दिल्ली मार्ग पर आए अचानक संकट के बाद अब 100 बसें अनुबंध पर लेने की तैयारी की जा रही है।
नवंबर तक का समय दिया था टाटा ने
पुरानी 130 बसों के टेंडर पर नई 100 बसों का आर्डर देने के लिए टाटा कंपनी ने परिवहन निगम को नवंबर तक का समय दिया हुआ है। दरअसल, यह प्रक्रिया फरवरी में शुरू हो गई थी। निगम बोर्ड की स्वीकृति होने के बाद निगम प्रबंधन ने 10 अप्रैल को सरकार को 175 बसों की खरीद का प्रस्ताव भेजा था। इसमें 100 बसें बीएस-6 डीजल और 75 सीएनजी शामिल थीं। हालांकि, अब मुख्यमंत्री ने आपात स्थिति को देखते हुए निगम को 100 बसें अपनी खरीदने, जबकि 100 सीएनजी बसें अनुबंध पर लेने को कहा। ऐसे में अब निगम को टाटा कंपनी को 100 बसों का आर्डर अगले एक हफ्ते के भीतर देना होगा, तभी टाटा पुरानी कीमत पर बसों की आपूर्ति दे पाएगा। वरना, टाटा ने नए टेंडर में बसों की कीमत बढ़ाने की बात कही है।
नहीं तलाश पाए पुरानी बसों के नए मार्ग
छह दिन से विभिन्न डिपो में खड़ी 194 बसों के लिए परिवहन निगम अब तक नए मार्ग नहीं तलाश पाया है। दिल्ली मार्ग पर संचालित होते हुए यह बसें निगम को मुनाफा कमाकर दे रही थी, लेकिन छह दिन में परिवहन निगम को हर रोज 30 से 40 लाख रुपये की चपत लग रही है।