प्रदेश सरकार अब केंद्र सरकार की उड़ान योजना की तर्ज पर उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार उत्तराखंड से देश व विदेश के विभिन्न शहरों को जोड़ा जाएगा। प्रदेश सरकार खुद ही इन मार्गों का चयन करने के साथ ही हवाई व हेली कंपनियों से इन पर संचालन के प्रस्ताव आमंत्रित कर सकेगी। इन मार्गों पर किराये का फैसला मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। यद्यपि, इन मार्गों पर हवाई अथवा हेली सेवा शुरू करने के लिए डीजीसीए से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
सरकार का है ये उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य इस योजना के अंतर्गत काठमांडू, अयोध्या, वाराणसी और अमृतसर के लिए हवाई सेवा शुरू करना है। प्रदेश में अभी हवाई जहाज केवल चुनिंदा हवाई अड्डों पर ही संचालित हो सकते हैं। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के नैसर्गिक सुंदरता वाले स्थानों के लिए केवल हेली सेवाएं ही संचालित हो सकती हैं। प्रदेश में 125 से अधिक हेलीपैड हैं, जो दुर्गम क्षेत्रों तक संपर्क स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यहां हेली सेवाएं सुचारू होने से पर्यटन, व्यापार व विकास के द्वार खुल सकते हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने उत्तराखंड हवाई संपर्क योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।
वीजीएफ पर वहन करेगी राज्य सरकार
यह योजना केंद्र सरकार की उड़ान यानी क्षेत्रीय संपर्क योजना तथा अंतरराष्ट्रीय संपर्क योजना पर आधारित है। इस योजना में हवाई सेवाओं के संचालन पर दिया जाने वाला अनुदान यानी वाइबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) राज्य सरकार वहन करेगी। इस योजना को वर्ष 2029 तक संचालित किया जाएगा। योजना के तहत चयनित मार्ग का मूल अथवा गंतव्य उत्तराखंड राज्य में होगा।
योजना का क्रियान्वयन करेगी उच्च स्तरीय समिति
योजना के क्रियान्वयन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति होगी, जो मार्ग व किराये का निर्धारण व मार्ग पर हवाई अथवा हेली सेवा के संचालन पर निर्णय लेगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनने वाली इस समिति में छह सदस्य होंगे। सचिव नागरिक उड्डयन इस समिति के संयोजक की भूमिका में रहेंगे। वही सचिव वित्त, सीईओ यूकाडा, एएआई का प्रतिनिधि इसमें सदस्य की भूमिका में रहेंगे। एक अन्य सदस्य अथवा आमंत्रित सदस्य अध्यक्ष के अनुमोदन के अनुसार बनाए जाएंगे।