प्रदेश में शहरों और गांवों में ढांचागत सुविधाओं के विस्तार के काम और तेज गति पकड़ेंगे। प्रयास ये किया जा रहा है कि अवस्थापना विकास का ढांचा इस प्रकार खड़ा किया जाए कि अधिक से अधिक पूंजीगत परिसंपत्तियों का निर्माण हो। इसके लिए आवश्यकता पड़ी तो बाजार से ऋण लेने में सरकार हिचक नहीं दिखाएगी। केंद्र सरकार ने भी बाजार से ऋण लेने की राज्य की सीमा को बढ़ाकर 10 हजार करोड़ किया है। उत्तराखंड में चालू वित्तीय वर्ष में निर्माण और अवस्थापना विकास के कार्यों की गति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने ऋण लेने की सीमा 5500 करोड़ रुपये नियत की थी। इसमें एक बार फिर वृद्धि की गई है। यद्यपि, ऋण के प्रति वर्ष बढ़ रहे भार को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है।
पिछले दो वित्तीय वर्षों में भी ऐसा ही किया गया। इससे ऋण को कुछ हद तक नियंत्रित करने में सफलता मिली। साथ ही ऋण और ब्याज की अदायगी को भी प्रमुखता दी गई। इसी का परिणाम यह रहा कि तेजी से बढ़ रहा ऋण भार 80 हजार करोड़ की सीमा को लांघ नहीं पाया, जबकि इसके कयास लगाए जा रहे थे। वित्तीय वर्ष 2023-24 में अभी तक 2800 करोड़ का ऋण बाजार से लिया जा चुका है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले और ऋण लिया जा सकता है। ऋण भार को लेकर सतर्कता बरत रही सरकार अब पूंजीगत निवेश में तेजी लाना चाहती है।
सशक्त उत्तराखंड के संकल्प को पूरा करने के लिए पर्यटन, कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के साथ ही पेयजल, स्वास्थ्य, बिजली समेत आवश्यक सेवाओं और सुविधाओं के मोर्चे पर अवस्थापना विकास में तेजी लाने की योजना है। ऐसे में केंद्र से मिलने वाली सहायता के साथ ही ऋण लेने में धामी सरकार अब तक दिखाई गई हिचक को त्याग सकती है। ऐसे में कुल ऋण भार भी बढ़ सकता है। बजट में पूंजीगत खर्च को बढ़ाने में सरकार को वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में बड़ी सफलता मिली थी। इससे सरकार का उत्साह बढ़ा है। माना जा रहा है कि पूंजीगत खर्च और परिसंपत्तियों के निर्माण में विभाग जितना अधिक परिश्रम करेंगे, बाजार से ऋण लेने की नौबत आनी तय है।
गैर पूंजीगत खर्चों की पूर्ति के लिए ऋण लेने से बचने का भरसक प्रयास सरकार ने किया, लेकिन अब जिस प्रकार से कर्मचारियों की मांगों को लेकर लचीलापन दिखाया जा रहा है, उससे गैर विकास मदों पर भी खर्च में वृद्धि लगभग तय है। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर अधिक बल दे रही है। इसके लिए आवश्यकता पड़ी तो ऋण लिया जा सकता है।