सरकार के प्रयास रंग लाए तो श्रीअन्न यानी मोटे अनाज के उत्पादन में उत्तराखंड निकट भविष्य में लंबी छलांग लगाएगा। स्टेट मिशन मिलेट के अंतर्गत मंडुवा, झंगोरा व रामदाना जैसे मोटे अनाज का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए घाटियों एवं अन्य क्षेत्रों में ऐसी बेकार पड़ी कृषि योग्य भूमि तलाशी जा रही है, जिसमें इनकी खेती हो सकती है। इसके पीछे सरकार की मंशा क्षेत्रफल बढ़ाकर उत्पादन में बढ़ोतरी करना है, ताकि श्रीअन्न की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक अलग-अलग भू-आकृतियां हैं। स्थान की ऊंचाई के साथ जलवायु और वनस्पतियां बदलती रहती हैं।
पहाड़ में बजरी व हल्की बनावट वाली मिट्टी होती है, जो लंबे समय तक पानी नहीं रखती। इसे मंडुवा, झंगोरा, रामदाना जैसे स्माल मिलेट के लिए उपयुक्त माना जाता है। ये फसलें अपने लचीलेपन के लिए जानी जाती हैं। यानी ये विविध परिस्थितिक स्थिति में तालमेल बैठाने में सहायक होती हैं। यही कारण है कि राज्य के 10 पर्वतीय जिलों में इनकी खेती होती आई है। ये फसलें पूरी तरह जैविक होने के कारण इनकी मांग भी अधिक है। बावजूद इसके, मोटे अनाज का क्षेत्रफल घट रहा है।
क्षेत्रफल घटने के बाद भी उत्पादकता बढ़ी
आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2000-01 में राज्य में मंडुवा का क्षेत्रफल 127733 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 85880 हेक्टेयर पर आ गया। यह बात अलग है कि उत्पादकता में वृद्धि हुई है। वर्ष 2000-01 में मंडुवा की उत्पादकता 12.71 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, जो अब बढ़कर 14.78 हो गई है। इसी तरह झंगोरा का क्षेत्रफल भी घटकर 40814 हेक्टेयर पर आ गया है, लेकिन इसकी उत्पादकता में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
7429 किसानों से 16500 मीट्रिक टन मोटे अनाज की खरीद
इस बीच केंद्र सरकार ने श्रीअन्न यानी मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने की कसरत प्रारंभ की तो उत्तराखंड ने भी वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक के लिए स्टेट मिलेट मिशन की घोषणा की। इसके लिए 73.16 करोड़ का प्रविधान किया गया, जिसमें मोटे अनाज का क्षेत्रफल व उत्पादन बढ़ाने के दृष्टिगत कृषि विभाग को 53.16 करोड़ और मंडुवा, झंगोरा, रामदाना की खरीद के लिए सहकारिता विभाग को 20 करोड़ की राशि प्रदान की गई। चालू वित्तीय वर्ष में अब 7429 किसानों से 16500 मीट्रिक टन मोटे अनाज की खरीद हो चुकी है।
कम पड़ेगा मोटा अनाज
सरकार ने मोटे अनाज को प्रोत्साहन के दृष्टिगत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से प्रति राशन कार्ड एक किलो मंडुवा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही महिला एवं बाल पोषाहार की योजनाओं में मिलेट को शामिल किया गया है। ऐसे में वर्तमान में मंडुवा, झंगोरा का जितना उत्पादन हो रहा है, वह इस आपूर्ति के लिए कम पड़ सकता है। इसी के दृष्टिगत अब इसका क्षेत्रफल बढ़ाने को कसरत चल रही है।
बेकार पड़ी कृषि भूमि चिह्नित करेगा कृषि विभाग
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने हाल में मिशन मिलेट की समीक्षा के दौरान राज्य के पर्वतीय जिलों में घाटियों व अन्य स्थानों पर ऐसी कृषि योग्य भूमि चयनित करने के निर्देश दिए, जो बंजर या बेकार पड़ी है। इस भूमि में सामूहिक या सहकारिता के माध्यम से मंडुवा, झंगोरा, रामदाना की खेती की योजना है। इससे जहां इन फसलों का क्षेत्रफल बढ़ेगा, वहीं उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी। साथ ही इससे किसानों को फायदा मिलेगा।