प्रदेश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिल सकता है। जिस तरह प्रदेश में गर्मियों की शुरुआत में ही जंगल में आग की घटनाएं बढ़ी और चारधाम यात्रा शुरुआत में अनियंत्रित हुई, उससे सरकार बहुत खुश नहीं थी। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार अब जिलों से लेकर सचिवालय स्तर पर अधिकारियों के पदभार में बदलाव कर सकती है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के क्रम में बड़ी संख्या में अधिकारियों के पदभार में बदलाव किया था। इस जद में सचिवालय के कई अधिकारी भी आए थे। आचार संहिता लगे होने के कारण प्रदेश में नए कार्य भी शुरू नहीं हो पाए थे। आचार संहिता की अवधि में प्रदेश में जंगल की आग तेजी से फैली। इसे संभालने के लिए सेना तक की मदद लेनी पड़ी।
चारधाम यात्रा की स्थिति भी रही खराब
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने चुनावी दौरे बीच में छोड़कर वापस आए और जंगल की आग पर नियंत्रण पाने को दिशा-निर्देश दिए। यही स्थिति चारधाम यात्रा की रही। यात्रा शुरू होने के बाद श्रद्धालुओं के उत्साह के सामने सारी व्यवस्थाएं बौनी पड़ गई। यहां भी मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करते हुए व्यवस्था बनाने के लिए आगे आना पड़ा। इन घटनाओं से प्रशासनिक कार्यशैली सवालों के घेरे में रही, लेकिन आचार संहिता के कारण प्रशासनिक फेरबदल इस अवधि में सरकार नहीं कर पाई। अब जब आचार संहिता समाप्त होने वाली है तो सरकार के सामने विकास कार्यों को गति देने के साथ ही व्यवस्था को दुरुस्त करने की भी चुनौती है। जाहिर है कि इसके लिए वह ऐसे अधिकारियों को संबंधित विभागों में तैनात करना चाहेगी, जो सरकार की अपेक्षा के अनुसार कार्यों को गति दे सकें। ऐसे में यह माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार जिलों से लेकर सचिवालय तक में अधिकारियों के दायित्वों में बड़ा फेरबदल कर सकती है।