मुख्यमंत्री और वन मंत्री के कड़े निर्देशों के बावजूद जंगलों में अग्नि नियंत्रण के लिए तैनात लगभग चार हजार फायर वाचर का सामूहिक जीवन बीमा कराने में वन प्रभाग हीलाहवाली बरत रहे हैं। राज्य में 41 वन प्रभागों में से केवल 20 ने अपने-अपने क्षेत्र में 2286 फायर वाचर का बीमा कराया। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने शनिवार को वन मुख्यालय में अग्नि नियंत्रण की समीक्षा बैठक में इस स्थिति पर सख्त नाराजगी जताई। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन 21 वन प्रभागों में फायर वाचर का बीमा नहीं हुआ है, वहां के डीएफओ को मुख्यालय स्तर से कारण बताओ नोटिस जारी कर सभी से दो दिन के भीतर जवाब मांगा जाए। वन मंत्री उनियाल ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दो टूक कहा कि जंगलों की आग और मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए जो भी कार्य किया जा सकता है, वह किया जाए। साथ ही इसमें कार्मिकों व योजित फायर वाचर, दैनिक श्रमिकों की व्यक्तिगत सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन विषयों में किसी भी प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी।
अग्नि नियंत्रण के लिए नवंबर में जारी हो बजट
जंगल की आग का उल्लेख करते हुए वन मंत्री ने कहा कि आग की घटनाएं नवंबर से ही शुरू हो जा रही हैं। ऐसे में अग्नि नियंत्रण के लिए अप्रैल का इंतजार करने के बजाए नवंबर में ही बजट जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य के वन क्षेत्रों में सभी 571 सेक्शन में कार्यरत वन दारोगा को अग्नि नियंत्रण के दृष्टिगत लीफ ब्लोअर, ग्रास कटर समेत अन्य उपकरण हर हाल में अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए।
स्थानीय निवासियों और वन कर्मियों के नाम मांगे
वन मंत्री ने अग्नि नियंत्रण में सक्रिय सहयोग देने वाले स्थानीय निवासियों की सूची भी सभी जिलों से मांगी है, ताकि उन्हें पुरस्कृत किया जा सके। वन मंत्री ने पूर्व में अग्नि नियंत्रण में योगदान देने वाले ग्रामीणों को जिला स्तर पर पुरस्कृत करने की घोषणा की थी। वन मंत्री ने उन वनकर्मियों की भी सूची मांगी है, जिन्होंने इस अग्निकाल में आग से निबटने में अहम योगदान दिया है। इन्हें भी पुरस्कृत किया जाएगा।
इन प्रभागों ने कराया फायर वाचर का बीमा
वन प्रभाग पिथौरागढ़, नैनीताल, रामनगर, बदरीनाथ, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, मुनिकीरेती, टिहरी, चकराता, मसूरी, पुरोला, बड़कोट, कोटद्वार व देहरादून, भूमि संरक्षण वन प्रभाग नैनीताल, अलकनंदा व पौड़ी, कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व और गोविंद वन्यजीव विहार।