हाल ही में जोशीमठ में आईं बड़ी-बड़ी दरारों ने सबको चिंता में डाल रखा है। कई लोग अपने घरों में कई महीनों से नहीं गए हैं और होटलों में रहने पर मजबूर हैं।
मगर भूस्खलन का यह सिलसिला केवल पहाड़ो तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब यह मैदानी जिलों पर भी धीरे-धीरे दिखाई दे रहा है। कुल मिलाकर इसका मतलब यह है कि अब उत्तराखंड के मैदानी जिलों में रहने में भी रहने में रिस्क है क्योंकि यहां पर भी लगातार जमीन दरक रही है और बड़ी-बड़ी दरारें देखने को मिल रही हैं। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबक चमोली जिले के जोशीमठ शहर के बाद देहरादून जिले के कालसी ब्लॉक के खमरोला गांव और उसके आसपास के इलाकों में 2 दर्जन से अधिक घरों में दरारें पड़ने और जमीन धंसने का मामला सामने आया है जिसने लोगों के होश उड़ा दिए हैं।
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि यह इलाका राज्य की राजधानी देहरादून से महज 90 किलोमीटर दूर है। ऐसे में अब शहरों पर भी भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है जो की चिंता का विषय है। स्थानीय लोगों ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि खमरोला गांव के कई घरों में पिछले दिनों दरारे आ गई थीं और इस मानसून वह और अधिक चौड़ी हो गई हैं। इसी के अलावा वहां पर जमीन के धंसने की घटनाएं भी देखी जा रही हैं और सड़कों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क बनाने के लिए की गई कटाई के काम के कारण खमरोला में दरारें आ गई हैं और इस गांव में लगभग 50 परिवार रहते हैं जिनकी जिंदगी और उनके घरों पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं पीएमजीएसवाई के कार्यकारी अभियंता सुनील कुमार ने बताया कि सड़क को काटने का काम पीडब्ल्यूडी द्वारा किया गया था ऐसे में जमीन के धंसने (cracks in dehradun kalsi houses) की समस्या गंभीर है और इसकी गहन भूवैज्ञानिक जांच होने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाने और धंसाव के कारणों का पता लगाने के लिए बजट का अनुरोध किया जा रहा है।