
पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जिस सरकारी बंगले में रह रहे थे, वह भी चर्चा के केंद्र में है। कारण है इस बंगले से जुड़ा मिथक। वह यह कि राज्य गठन के बाद जो भी मंत्री इस बंगले में रहा, वह मंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। अलबत्ता, विपक्ष के लिए यह बंगला मुफीद साबित हुआ है।
देहरादून में यमुना कालोनी में हैं मंत्री आवास। इन्हीं में से एक है आर-2, जिससे जुड़ा है मिथक। जो भी मंत्री इस बंगले में आता है, उसके लिए मुश्किलें खड़ी होती हैं और विपक्ष को यह खूब भाता है। अभी तक का परिदृश्य तो यही बयां कर रहा है। पीछे मुड़कर देखें तो वर्ष 2002 में निर्वाचित पहली एनडी तिवारी सरकार में मंत्री बने शूरवीर सिंह सजवाण को आर-2 बंगला आवंटित हुआ। वर्ष 2004 में छोटे राज्यों के लिए निर्धारित मंत्रिमंडल के आकार के मानक के चलते उनकी कुर्सी चली गई। वर्ष 2007 में सत्ता परिवर्तन होने पर कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा। तब नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिली डॉ हरक सिंह रावत को। उन्हें यह बंगला आवंटित हुआ और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। वर्ष 2012 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी होने पर डॉ हरक सिंह मंत्री बने और उन्होंने यह बंगला अपने पास ही रखा, लेकिन 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम में वह कांग्रेस से छिटककर भाजपा में चले गए और मंत्री के रूप में कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। वर्ष 2017 में भाजपा सत्ता में आई और डॉ हरक सिंह को मंत्री पद दिया गया। वह इसी बंगले में रहे, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया और वे कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
वर्ष 2022 में भाजपा के दोबारा सत्तासीन होने पर मंत्री बने प्रेमचंद अग्रवाल को यह बंगला दिया गया, लेकिन मंत्री के रूप में वह भी कार्यकाल पूरा करने का मिथक नहीं तोड़ पाए। इस परिदृश्य के बीच यह बंगला भी हर किसी की जुबां पर चर्चा के केंद्र में है।
अग्रवाल ने सोमवार को छोड़ा बंगला
मंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद ऋषिकेश के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने सोमवार को उन्हें आवंटित मंत्री आवास आर-2 को अलविदा कह दिया। वह स्वजन के साथ निजी वाहन से ऋषिकेश रवाना हुए। अग्रवाल ने सरकारी वाहन रविवार शाम को मंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद ही छोड़ दिया था।