पांचवीं विधानसभा के चुनाव में गुरुवार को मतों का पिटारा खुला तो देवभूमि में फिर से लगातार दूसरी बार भाजपा सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया। मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में दोबारा बड़ा जनादेश सुनाते हुए कुल 70 में से 48 सीटें थमा दीं, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा सीट से चुनाव हार गए। कांग्रेस को बड़ा झटका लगा, 2017 की तुलना में उसकी सीट 11 से बढ़कर 18 तो हो गईं, लेकिन सत्ता पाने की इच्छा अधूरी रह गई।
चुनाव परिणाम में बड़ा उलटफेर भी देखने को मिला। प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की बागडोर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नैनीताल जिले की लालकुआं सीट से चुनाव हार गए। रावत पिछले चुनाव में भी दो सीटों से चुनाव हार गए थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी चुनाव हार गए हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा।
परिणामों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश में मोदी मैजिक की धूम रही। मतदाताओं ने डबल इंजन पर भरोसा जताया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक एवं भाजपा सरकार के 10 में से आठ मंत्री प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे। कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद चुनाव हार गए। भाजपा के 27 और कांग्रेस के तीन विधायक इस बार भी चुनाव जीते हैं। बसपा ने दो सीट लेकर प्रदेश में वापसी की है, जबकि आप और उक्रांद साफ हो गए।
मतदान के 24 दिन बाद गुरुवार को राज्य में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ईवीएम और पोस्टल बैलेट का पिटारा खुला। बीती 14 फरवरी को 65.37 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। एक्जिट पोल के अनुसार ही मतगणना के शुरुआती रुझान से ही भाजपा को बढ़त मिलने लगी थी। पिछले चुनाव में भाजपा ने तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ 57 सीट हासिल की थी। इस बार ये सीट घटकर 47 रह गई हैं। सत्तारूढ़ दल ने सत्ता पर कब्जा बरकरार रखते हुए सरकार की अदला-बदली का मिथक तोड़ डाला।

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