कतर की जेल से रिहा हुए पूर्व नौसेना अधिकारी कैप्टन सौरभ वशिष्ठ मंगलवार शाम को दून के टर्नर रोड स्थित अपने आवास पहुंच गए हैं। 17 महीने बाद घर लौटने पर लोगों ने फूल-मालाओं से स्वागत किया। इस दौरान वह भावुक भी हो गए। उनकी पत्नी मानसा और बेटियां जारा व तुवीसा भी उनके साथ थीं। घर पहुंचने पर कैप्टन सौरभ के पिता वायु सेना के सेवानिवृत्त विंग कमांडर आरके वशिष्ठ और मां राजी के आंसू छलक आए और उन्होंने बेटे को गले लगाकर दुलार किया। मां ने बेटे की आरती उतारी और तिलक किया। सौरभ ने परिवार के साथ घर के मंदिर में शीश नवाया और ईश्वर का धन्यवाद दिया।
कतर में सुनाई गई थी उम्र कैद की सजा
बता दें, नौसेना के आठ पूर्व अधिकारी कतर में देहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज नाम की कंपनी के लिए काम कर रहे थे। अगस्त 2022 में इन सभी को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 26 अक्टूबर 2023 को कतर की अदालत ने इन्हें फांसी की सजा सुना दी थी, जिसे बाद में उम्र कैद की सजा में तब्दील किया गया।
आठ में से सात अधिकारी हुए रिहा
देशभर से इन पूर्व नौसेना अधिकारियों की रिहाई की मांग उठी। इसके बाद भारत सरकार ने इनकी रिहाई की प्रक्रिया शुरू की। जिसके बाद कतर की सरकार ने इनमें सात को रिहा कर दिया। सौरभ ने दून पहुंचते ही मोहब्बेवाला स्थित साईं मंदिर में दर्शन किए। परिवार के सभी लोगों ने मंगलवार का उपवास रखा था।
लौट आया मेरा लाल
भारतीय नौसेना के पूर्व कैप्टन सौरभ वशिष्ठ कतर की जेल से रिहा होकर मंगलवार को देहरादून के टर्नर रोड स्थित अपने घर पहुंचे तो 17 महीने बाद अपने लाल को देखकर मां की आंखें भर आईं।
पत्नी को दिल्ली पहुंचने पर मिली खबर
पत्नी को सौरभ की रिहाई व वतन वापसी की खबर तब मिली जब वह दिल्ली पहुंच गईं थीं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि सौरभ ने दिल्ली पहुंचने के बाद मुझे फोन किया। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि वह रिहा हो गए हैं। इसके बाद कतर में भारत के राजदूत विपुल ने बात की। उन्होंने इस बात की पुष्टि की। जिसके बाद ऐसा लगा कि मानो मेरे प्राण लौट आए हैं।
मेरी चौखट पर मेरे राम आए हैं
बेटे की रिहाई का इंतजार कर रहे सौरभ के पिता की खुशी का ठिकाना नहीं था। दिल्ली से दून पहुंचते समय उन्होंने सौरभ को कई बार फोन किया। बार-बार पूछते, कहां पहुंचे हो..। उनके घर पहुंचते ही बोल पड़े मेरी चौखट पर मेरे राम आए हैं।
वह दिन पीछे छूट गए
घर पहुंचने पर कैप्टन सौरभ भावुक दिखे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं 17 महीने बाद यहां पर खड़ा हूं, इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के चलते संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि पीएम व विदेश मंत्रालय के व्यक्तिगत हस्तक्षेप का परिणाम और श्रीराम व हनुमान जी की कृपा है कि नौसेना के सात पूर्व अधिकारी वतन वापसी कर पाएं हैं।
अब नई जिंदगी जीनी है
कैप्टन सौरभ ने कतर के अमीर का भी धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मुसीबत के वक्त में उनके माता-पिता, पत्नी व बच्चों से जो संबल उन्हें मिला, शब्दों में उसका जिक्र नहीं किया जा सकता है। बीते 17 माह की बात करते उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि वह दिन आराम से कटे, पर वह दिन अब पीछे छूट गए हैं और अब नई जिंदगी मुझे जीनी है।