उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर जैसी उम्मीद जताई जा रही थी, वह ठीक उसी के अनुरूप रहे हैं। भाजपा ने पांचों सीटों पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। लोकसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक विजय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक कद में भी इजाफा किया है। उनके नेतृत्व में राज्य में यह पहला लोकसभा चुनाव था, जिसमें उनके रणनीतिक कौशल की परीक्षा होनी थी और इसमें वह शत-प्रतिशत अंक हासिल करने में सफल रहे।
राज्य में इस चुनाव में भी भाजपा को मिली जीत के नायक निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रहे, लेकिन मुख्यमंत्री धामी भी निरंतर जुटे रहे। असल में इस चुनाव में मुख्यमंत्री धामी के राजनीतिक अनुभव के साथ रणनीतिक कौशल को भी कसौटी पर परखा जाना था। अपने दूसरे कार्यकाल के दो साल के भीतर मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक संहिता की पहल समेत अन्य ऐतिहासिक निर्णय लिए, इससे वह देश में भाजपा के नए चेहरे के तौर पर उभरे। ऐसे में उनके नेतृत्व में राज्य में लड़े गए पहले लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। यानी, सीधे तौर पर उनकी प्रतिष्ठा इस चुनाव से जुड़ी थी। इस सबको देखते हुए मुख्यमंत्री धामी लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही राज्य में चुनाव की दृष्टि से सक्रिय हो गए थे। इसी क्रम में उन्होंने नारीशक्ति वंदन कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की और सभी जिलों में आयोजित इस कार्यक्रम में भीड़ भी खूब उमड़ी।
इससे संकेत मिलने लगे थे कि भाजपा इस बार इतिहास रचेगी। चुनाव प्रचार अभियान के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में ताबड़तोड़ 68 जनसभाएं, रोड शो जैसे कार्यक्रमों को संबोधित किया। यही नहीं, प्रधानमंत्री समेत अन्य बड़े नेताओं की राज्य में हुई 42 सभाओं, रैलियों में वह स्वाभाविक रूप से उपस्थित रहे।
अब जबकि चुनाव के परिणाम आ चुके हैं और पांचों सीटों पर लगातार तीसरी बार कमल खिला है तो इससे मुख्यमंत्री का कद और बढ़ा है। जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुख्यमंत्री धामी की केमिस्ट्री ने रंग जमाया है। मुख्यमंत्री देवभूमि की जनता के मिजाज को भांपने में कामयाब रहे। साथ ही उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित करके भी दिखाया है।