उत्तराखंड में स्थानीय निकायों का प्रशासकों के हवाले होना तय हो गया है। निकायों का कार्यकाल चार दिसंबर को समाप्त होने से पहले चुनाव नहीं हो सकेंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने निकायों की निर्वाचक नामावलियों के विस्तृत पुनरीक्षण के लिए दो नवंबर से दो फरवरी, 2024 तक तीन माह की समय सारिणी जारी कर दी है। प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए निर्वाचक नामावलियों के विस्तृत पुनरीक्षण का कार्य अगले माह दो नवंबर से प्रारंभ होगा। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन दो फरवरी, 2024 को किया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट ने गुरुवार को प्रदेश के नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों की निर्वाचक नामावलियां तैयार करने के लिए समयसारिणी की अधिसूचना जारी की।
साल 2018 में हुआ था पिछला निकाय चुनाव
प्रदेश में पिछले निकाय चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे। तब 20 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई थी। 18 नवंबर को मतदान होने के बाद 20 नवंबर को परिणाम घोषित किए गए थे। निकायों का शपथ ग्रहण और पहली बैठक दो दिसंबर को हुई। निकाय अधिनियम के अनुसार पहली बैठक से ही निकाय का पांच साल का कार्यकाल शुरू होता है। अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले अथवा 15 दिन बाद में चुनाव कराए जा सकते हैं।
बढ़ी नगर निकायों की संख्या
राज्य में वर्तमान में नगर निकायों की संख्या बढ़कर 110 हो गई है। इनमें सात निकाय कुछ समय पहले ही अधिसूचित हुए हैं। ऐसे में अन्य निकायों के साथ इनके चुनाव कराना संभव नहीं है। शेष 103 निकायों में से केदारनाथ, बद्रीनाथ व गंगोत्री में चुनाव नहीं होते। रुड़की नगर निगम व बाजपुर नगर पालिका परिषद में चुनाव बाद में होने के कारण इनका कार्यकाल अगले वर्ष पूर्ण होना है। इसके अलावा सिरौरीकला निकाय के गठन को लेकर अदालत से स्थगनादेश मिला है। यानी 97 निकायों में चुनाव होने हैं।
मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण होगा
राज्य निर्वाचन आयुक्त के अनुसार नगर पालिका परिषद हरबर्टपुर, नरेंद्र नगर, रुद्रप्रयाग एवं बाजपुर और नगर पंचायतों कीर्तिनगर, गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, मुनस्यारी एवं नंदा नगर घाट को छोड़कर अन्य सभी निकायों की मतदाता सूचियों का विस्तृत पुनरीक्षण किया जाएगा। एक जनवरी, 2024 को 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके सभी व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में सम्मिलित किए जाएंगे।