भारत में डार्कनेट के जरिये चल रहे ”सबसे बड़े” एलएसडी कार्टेल का नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने मंगलवार को भंडाफोड़ किया। कार्टेल को 21-25 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं द्वारा किया जा रहा था। एनसीबी ने 13,000 से अधिक ब्लाट और 26 लाख रुपये की नकदी जब्त की है और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
एलएसडी ब्लाट का जखीरा किया गया था जब्त : अधिकारी
एनसीबी के उप महानिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह ने कहा, ‘जंबाडा कार्टेल’ के नाम से चलाया जा रहा रैकेट ब्रिटेन, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, रूस, स्पेन, पुर्तगाल, ग्रीस और तुर्किये में सक्रिय है। इस कार्टेल के जरिये मादक पदार्थ एलएसडी (लिसर्जिक डायथाइलमाइड) का व्यापार किया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि एनसीबी ने जून में भी एलएसडी ब्लाट का जखीरा जब्त किया था। दोनों अभियानों में एनसीबी ने एलएसडी के कुल 29103 ब्लाट के साथ 22 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
कागज पर तैयार होता है एलएसडी
एलएसडी या लिसेर्जिक एसिड डायथाइलैमाइड मादक पदार्थ है। – यह कागज के छोटे वर्गों (ब्लाट) पर इसकी परत लगाई जाती है जिसे चाटा या निगला जा सकता है।- इसके सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं- यह गंधहीन, रंगहीन और स्वादहीन होता है
दिल्ली-एनसीआर से संचालित होता था जंबाडा
कार्टेल ज्ञानेश्वर सिंह ने कहा, पता चला कि डार्कनेट पर एलएसडी में सक्रिय सबसे बड़ा कार्टेल – जंबाडा- दिल्ली-एनसीआर से संचालित होता था। तकनीकी और निगरानी के माध्यम से कार्टेल के दो आपरेटरों की पहचान की गई। इसके बाद कार्टेल के ”मास्टरमाइंड” का पता चला, जो हरियाणा के बल्लभगढ़ (फरीदाबाद) से काम कर रहा था। एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि एनसीबी दिल्ली जोनल कार्यालय ने इन तीनों के परिसरों पर कई छापे मारे। छापेमारी में 13,863 एलएसडी ब्लाट्स, 428 ग्राम एमडीएमए (एक्स्टसी) जब्त की गई। जांबाडा कार्टेल ”5-स्टार रेटिंग” वाला देश का ”एकमात्र” कार्टेल था। डार्कनेट पर ड्रग कार्टेल को 1-5 स्टार के पैमाने पर रेटिंग दी जाती है।
क्या होता है डार्कनेट
इंटरनेट पर ऐसी कई वेबसाइटें हैं जिन्हें आमतौर पर सर्च इंजनों पर ब्राउज नहीं किया जा सकता। यह एक ऐसा नेटवर्क होता है जिस तक लोगों के चुनिंदा समूहों की पहुंच होती है। इनका इस्तेमाल नशीले पदार्थों की तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है।एनसीबी के एक अधिकारी ने कहा, ये कार्टेल विभिन्न क्रिप्टो वालेट में पैसा इकट्ठा करते हैं और फिर इसे वर्चुअल करेंसी के माध्यम से ट्रांसफर करते हैं और अंत में अपने बैंक खातों में पैसा प्राप्त करते हैं।