वरुण धवन (Varun Dhawan) और जाहन्वी कपूर (Janhvi Kapoor) की ओटीटी पर हालिया रिलीज फिल्म ‘बवाल’ को लेकर बवाल शुरू हो गया है। एक ओर दोनों एक्टर्स को उनकी परफॉर्मेंस के लिए तारीफ मिल रही है, तो दूसरी ओर इजराइल एम्बेसी ने इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म के कुछ सीन्स पर आपत्ति जताई है।
इजराइल एम्बेसी को नहीं पसंद आए ‘बवाल’ के ये सीन:
नितेश तिवारी की निर्देशित फिल्म ‘बवाल’ को सेलेब्स का पॉजिटिव रिव्यू मिला है। कुछ दिनों पहले वरुण ने बताया था कि पहली बार उन्हें किसी फिल्म के लिए ढेर सारे कॉल आए। जहां दोनों सितारों को अपनी-अपनी परफॉर्मेंस के लिए वाहवाही मिल रही है, वहीं इजराइल एम्बेसी ने वर्ल्ड वॉर 2 वाले सीन पर आपत्ति जताई है। दरअसल, फिल्म में वैवाहिक कलह की तुलना ऑशविट्ज से और लालची लोगों की तुलना हिटलर से की गई है। इसी पर विवाद है।
फिल्म में एक सीन है, जिसमें अजय दीक्षित (वरुण धवन) और निशा (जाहन्वी कपूर) विदेश यात्रा पर निकलते हैं। वे वर्ल्ड वॉर 2 वाली जगहों पर घूमते हैं। एक सीन में जाहन्वी कहती हैं, ”हम सब कुछ हद तक हिटलर की तरह हैं, है ना? हर रिश्ता अपने ऑस्चविच (Auschwitz) से गुजरता है। मूवी में गैस चैंबर में जो क्रूरता दिखाई गई है, उसका इस्तेमाल दोनों के रिश्ते में बदलाव के लिए इस्तेमाल किया गया है। इस पर आपत्ति जताई गई है।
क्या कहा एम्बेसी ने?
एम्बेसी की तरफ से ट्विटर पर लिखा गया, ”हालिया फिल्म ‘बवाल’ में होलोकॉस्ट के महत्व को तुच्छ बताए जाने से इजरायली दूतावास परेशान है। फिल्म में कुछ शब्दावली के उपयोग में गलत विकल्प था। हालांकि हम मानते हैं कि कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था, हम उन सभी से आग्रह करते हैं, जो होलोकॉस्ट की भयावहता के बारे में पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं, वे इसके बारे में खुद को शिक्षित करें।”
उन्होंने आगे लिखा,”हमारा दूतावास इस महत्वपूर्ण विषय पर शैक्षिक सामग्री का प्रचार-प्रसार करने के लिए लगातार काम कर रहा है और हम होलोकॉस्ट से मिलने वाली साखी की बेहतर समझ के लिए बातचीत के लिए तैयार हैं।”
क्या कहा नितेश तिवारी ने?
इससे पहले पिंकविला को दिए इंटरव्यू में नितेश तिवारी ने फिल्म पर अपना स्टैंड क्लियर किया था। ‘बवाल’ के बचाव में उन्होंने कहा था कि Auschwitz सीक्वेंस को जिस तरह से कुछ लोगों ने देखा, वह निराशजनक है। किसी भी तरह से असंवेदनशील होना मकसद नहीं था। क्या हमने ये नहीं देखा कि अज्जू और निशा ने ऑशविट्ज में जो कुछ देखा है, उससे पूरी तरह परेशान और प्रभावित हो जाते हैं? वे कैदियों को देखते हैं, वे देखते हैं कि उन्हें कैसे ढेर कर दिया गया, उन्होंने देखा हैं कि उन्हें कैसे खत्म कर दिया गया। क्या वे इसके प्रति असंवेदनशील हैं? नहीं, उनकी आंखों में आंसू आ गए।”