उत्तराखंड में भाजपा के 59 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करने के साथ ही बगावत की आवाज मुखर हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पीआरओ ने खुद मोर्चा खोल दिया है। भीमताल मुनस्यारी गदरपुर और काशीपुर में भी विरोध देखने को मिल रहा है।
टिकट वितरण के अगले ही दिन शुक्रवार को भाजपा में बगावती तेवर सामने आने लगे। सबसे बुरी स्थिति नैनीताल आरक्षित सीट पर रही। यहां टिकट से वंचित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जनसंपर्क अधिकारी व पूर्व पार्टी जिलाध्यक्ष दिनेश आर्य ने मोर्चा खोल दिया। आरोप लगाया कि निष्ठावान व वैचारिक कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर साजिशन कमजोर प्रत्याशी उतारा गया।
आशंका जताई कि पार्टी के किसी बड़े नेता नेपूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के साथ टिकट फिक्सिंग कर कमजोर प्रत्याशी के रूप में सरिता आर्य का चयन कराया। वहीं, भीमताल विधानसभा से दावेदारी पेश करने वाले पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष मनोज साह ने समर्थकों के साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से ही त्याग पत्र देकर निर्दलीय चुनाव लडऩे का एलान कर दिया। पार्टी ने यहां से 2017 में निर्दल विधायक बने राम सिंह कैड़ा को टिकट दिया है।
नैनीताल आरक्षित सीट पर भाजपा की घोषित प्रत्याशी सरिता आर्य की राह आसान नहीं रह गई है। उनसे पहले भाजपा में वापसी वकर चुके हेम आर्य ने इंटरनेट पोस्ट डालकर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदने का एलान कर डाला है। पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़कर तीसरे स्थान पर रहे हेम आर्य ने इस बार भाजपा में वापसी कर ली थी। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा जिताऊ प्रत्याशी मानकर प्रत्याशी घोषित करेगी लेकिन भाजपा ने महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक सरिता आर्य को प्रत्याशी घोषित कर दिया।