नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के वेतन के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में अब जांचों का दौर शुरू हो गया है। भौतिक सत्यापन के साथ ही अब प्रशासक जिलाधिकारी सोनिका ने पांच वर्षों से कार्यरत प्रत्येक सफाई कर्मचारी का ब्योरा मांगा है। इस बीच यह बात भी सामने आई है कि नगर निगम का बोर्ड भंग होने से पहले ही कर्मचारियों की सूची में बदलाव कर दिया गया था। अब स्वच्छता समिति के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, पार्षद, सुपरवाइजर और नगर निगम के अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं।
200 स्वच्छता समितियों में वेतन को लेकर फर्जीवाड़ा
नगर निगम के सभी 100 वार्ड में गठित 200 स्वच्छता समितियों में वेतन को लेकर खूब फर्जीवाड़ा किया गया। प्रत्येक वार्ड में कार्यरत पर्यावरण मित्रों की संख्या आठ से 12 दर्शायी गई, जबकि धरातल पर आधे कर्मचारी गायब मिले। साथ ही कई कर्मचारी ऐसे मिले, जिनके नाम ही रिकार्ड में नहीं थे। अब तक 85 वार्डों में नगर निगम की टीम भौतिक सत्यापन कर चुकी है। शेष 15 वार्डों की जांच होने के कंपाइल रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिससे फर्जीवाड़े कर सरकारी धन के दुरुपयोग का पता चल सकेगा। जांच के दौरान कई अहम जानकारी भी उजागर हो रही हैं। नगर निगम सूत्रों के अनुसार, बोर्ड भंग होने से पहले स्वच्छता समितियों में काम कर रहे कर्मचारियों के नाम बदल दिए गए। माना जा रहा है कि पहले अपने चहेतों के नाम पर वेतन लिया गया, फिर बोर्ड भंग होने से पहले ही उनके नाम के स्थान पर अन्य व्यक्तियों के नाम चढ़ा दिए गए। अब सफाई कर्मचारियों की संख्या को लेकर भी संशय बना हुआ है।
वेतन जारी करते वक्त तो पूर्ण क्षमता के आधार पर कर्मचारी तैनात होने का दावा किया गया, जबकि सफाई कार्य में आधे ही कर्मचारी पाए गए। इस कार्य में निगरानी की जिम्मेदारी सुपरवाइजरों की थी और उन पर सफाई निरीक्षकों को नजर रखनी थी। वहीं, पार्षदों के पास उनके वार्ड में स्वच्छता समिति को चलाने की जिम्मेदारी थी।
वेतन जारी करने को लेकर अभी संशय
नगर निगम की ओर से सफाई कर्मचारियों के सत्यापन के साथ ही उनकी सूची से मिलान किया जा रहा है। अभी 15 वार्ड शेष हैं, सभी वार्डों में जांच पूर्ण होने के बाद ही कर्मचारियों के वेतन को लेकर निर्णय लिया जाएगा।